Pages

Wednesday, October 31, 2012

પપ્પા...આઈ મીસ યુ.................

દુનિયાને છોડી જનારની રાહ આજેય કેમ જોવાય છે?
એકાંતમાં આપની યાદમાં આંખો કેમ છલકાય છે?
દુનિયામાં નથી અટકતું જીવન કોઈના વગર..તો પણ,
"પપ્પા" આપની કમી આજેય કેમ બહુ વરતાય છે?
 
© જીગ્નેશ એન પંડયા(બાવળા)

Tuesday, October 23, 2012

મંજીલની તલાસમાં..............23/10/2012

મંજીલની તલાસમાં ભટકતા ભટકતા,
મુશ્કેલ પરિસ્થિતિમાં આગળ વધતા,
નિશ્ચિત ધ્યેયને પામવા હાર નાં માનતા,
અંતિમ શ્વાસ સુધી મંજીલને પામવા ભટકતા.

મંજીલની રાહમાં થાક નાં ખાતા આગળ વધતા,
કપરા ચઢાણો ને ઉબડ ખાબડ રસ્તે ચાલતા,
દરેક સમસ્યાનો બહાદુરીથી સામનો કરતા કરતા,
અંતે મંજીલની ટોચ પર પહોચવાનો આંનદ માણતા.
>>>©રચના-જીગ્નેશ એન પંડયા(દેશપ્રેમી)<<<

Monday, October 22, 2012

એકાંતની પળોમાં....................

એકાંતની પળોમાં વિરહની વેદનાથી પીડાતો હું,
દુનિયાથી અલિપ્ત "શુન્યાવકાશ" મસ્તીષકથી વિચારતો હું,
જીવનની દરેક આટી-ઘુટી માંથી પસાર થયેલ હું,
દરેક પરિસ્થિતિને અનુરૂપ ઢાંચામાં ઢળાઈ ગયેલ હું.
©રચના-જીગ્નેશ એન પંડયા(દેશપ્રેમી) - બાવળા

Friday, September 21, 2012

©રચના -લડીએ છીએ!! -જીગ્નેશ એન પંડયા (દેશપ્રેમી)


અમો સમયની વિરુદ્ધ દિશાની વિમુખ લડીએ છીએ,
પરિવાર સાથે પણ પરિસ્થિતિ વિરુદ્ધ લડીએ છીએ,

સંજોગો વિપરીત હોય ભલે તો પણ લડીએ છીએ,
પરિણામ હોય ભલે વિરુદ્ધ તોય અમે લડીએ છીએ,

મોતની સામે જીવન માટે દરરોજ અમે લડીએ છીએ,
પ્રભુ હોય સાથ આપનો તો દુનિયા સામે લડીએ છીએ,


અંતિમ શ્વાસ સુધી હાર સામે જીતવા અમો લડીએ છીએ,
ફળની ચિંતા કોને છે?,અમે મહેનત કરીને લડીએ છીએ,

તોફાનો સામે અમો મધ-દરિયે જઈ રોજ લડીએ છીએ,
મોતનાં ખેલ આદત થઇ હવે અમે તોય લડીએ છીએ,
 
©રચના -લડીએ છીએ!! -જીગ્નેશ એન પંડયા (દેશપ્રેમી)

Tuesday, September 18, 2012

વ્યથા મારા દિલની....

વ્યથા મારા દિલની કોને કહું? હસે છે ચહેરો ને રડે છે મન,
સમજી શકે મારા દિલની વ્યથાને એ હૃદયને કહું મારું દર્દ.
©રચના -જીગ્નેશ એન પંડયા (દેશપ્રેમી)

Friday, September 14, 2012

क्योंकि मैं आम आदमी हूँ....हाँ...हाँ.. मैं आम आदमी हूँ ...

क्योंकि मैं आम आदमी हूँ....हाँ...हाँ.. मैं आम आदमी हूँ ...

तुम देश और जनता का पैसा लूटो .... राष्ट्र-विरोधी ताकतों से तुम्हारी साँठ-गाँठ हो..... तुम ईश्वर और संविधान की शपथ लो और ऐसे घृणित कार्य सीना ठोक कर करो जिस की कल्पना मात्र से शायद ईश्वर भी घबराता होगा और संविधान निर्माताओं की सोच भी वहाँ तक नहीं पहुँची होगी .....फ़िर भी तुम भारत-रत्न के अधिकारी हो.....तुम राष्ट्र की सुरक्षा के लिए बने उप

करणों की खरीद-फ़रोख्त में दलाली खाओ... फ़िर भी तुम नमन के हकदार हो ... तुमने तो ताबुतों पर भी मलाई खाई....शायद तुम्हारा हक होगा ??...अपनी काली और स्याह करतूतों को गाँधी की खादी से ढ़ंको ... तुमने जनतंत्र के मंदिर पर अपना कब्जा जो जमा रखा है इसलिए तुम्हारे हजारों-लाखों खून माफ़ हैं... मैं अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति करूँ तो मैं राष्ट्र-द्रोही... क्योंकि मैं आम आदमी हाँ..हाँ... मैं आम आदमी हूँ...

अभी तुमने देश में सेंसरशिप और आपातकाल की घोषणा नहीं की है..... लेकिन यह अघोषित आपातकाल है , संक्रमणकाल है जो और भी दुखद है, और भी खतरनाक है ... अजीब विडम्बना है तुम इस देश में नफरत भड़काने वाले भाषण से तो बच सकते हो..... दंगों और धार्मिक उन्माद की पटकथा तुम लिखते हो....लेकिन राजनीतिक व्यंग्य के बाद मैं तुरंत गिरफ्तार किया जाता हूँ क्योंकि मैं आम आदमी हूँ....हाँ...हाँ.. मैं आम आदमी हूँ ...

तुम राष्ट्र-गौरव के प्रतीक लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्र-ध्वज के साये में हम से झूठे वादे करो...क्योंकि यही तुम्हारा राष्ट्र-प्रेम है.... मैं भूख की जद्दो-जहद से जूझता रहूँ लेकिन मौन रहूँ .....तुम मेरे पैसे के उजाले से रौशन रहो....मैं गुमनामी के साये में अपने वजूद को ढ़ूँढ़ता रहूँ...क्योंकि मैं आम आदमी हूँ....हाँ...हाँ.. मैं आम आदमी हूँ ....

मैं कुछ ना देखूँ , कुछ ना सुनूँ और कुछ ना बोलूँ... क्योंकि मैं गाँधी जी के बन्दर का "नया संस्करण हूँ "...मैं तुम्हारे ईशारे पर दुम हिलाऊँ और भौंकूँ क्योंकि मैं तुम्हारे तंत्र का कुत्ता हूँ...मच्छरों की भाँति मरना मेरी नीयति है और बुलेट-प्रूफ़ जैकेट तुम्हारा अधिकार है..... तो मैं कहाँ जाऊँ....?? कहाँ रोऊँ ?? कहाँ चिल्लाऊँ ?? कहाँ से अपने राष्ट्र- प्रेम का सर्टिफ़िकेट (प्रमाण-पत्र ) लाऊँ..?? क्योंकि मैं आम आदमी हूँ....हाँ...हाँ.. मैं आम आदमी हूँ ...
BY:EK ANJAN AAMAADAMI KI VYATHA

Thursday, August 30, 2012

મોઘવારી સામે લડતા એક આમઆદમી ની વાત !! ©રચના-જીગ્નેશ એન પંડયા(દેશપ્રેમી)-બાવળા

મોઘવારી સામે લડતા એક આમઆદમી ની વાત !!
©રચના-જીગ્નેશ એન પંડયા(દેશપ્રેમી)-બાવળા

અમે તો દરરોજ મોત સામે લડીએ છીએ ને જીવયે છીએ,
પરવા અહી કોને છે જીવવાની અમે રોજ મોત મરયે છીએ,

મોત ને દયયે છે રોજ હાથતાળી,રોજ કમાઈ રોજ ખઈએ છીએ,
જીવયે છીએ બાળકોને જોય નહીતો વહાલું કરી લયયે મોત,

આમઆદમી જીવે છે કે મરે છે, કેન્દ્ર સરકારને ક્યાં પડી છે,

બસ સત્તા નાં અભિમાનમાં પોતાના રોજે-રોજ ગજવા ભરે છે,

રજળપાટ કરતા રોજે રોજ નોકરી માટે ફાફા મારીએ છીએ,
સરકારી કે ખાનગી નોકરી માટે લાગવક અહિયાં પહેલી હોય છે,

મળેછે નોકરી આમદની અથ્નની અને ખરચા રૂપિયા જેવી,
તોય આ જીવનને ધક્કા મારી રોજે રોજ જીવ્યા કરીએ છીએ,

સમજાવો એ.સી માં બેસેલ વ્યક્તિને કે જીવે એક દિવસ મારો,
ભાષણ દેતા મનેય આવડે છે જીવીને બતાવે એક દિવસ મારો,
-એક આમઆદમી
©રચના-જીગ્નેશ એન પંડયા(દેશપ્રેમી)-બાવળા

रचना-१ >>हिंदुस्तानमें उठी ललकार....जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)


हिंदुस्तानमें उठी ललकार है,आज जाग उठा नोजवान है,
युवा रुकेना अबकी बार सोचले ऐ दुश्मन तलवार,
नहीं रुकेगी अब युवा तलवार छोड़ेगे ना दुश्मनको आज,
लहु बहेगा अबकी बार,दुश्मन जाये अब देश निकाल.
-©रचना:जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)

Wednesday, August 29, 2012

સમજતી દુનિયા......

સમજતી દુનિયા મારા દર્દનાં કારણને,
નાં હસતી દુનિયા મારા દર્દને સમજીને.
©રચના-જીગ્નેશ એન પંડયા(દેશપ્રેમી)

Tuesday, August 28, 2012

સમજદાર આ દુનિયા માં............

સમજદાર આ દુનિયા માં સમજાવવા વાળા બહુ હોય છે..
અને મુશ્કેલ પરીસ્થીતીમાં સાથ છોડી જનાર બહુ હોય છે..
સુખમાં સાથે અને દુખમાં સલાહો આપવા વાળા બહુ હોય છે.
દિલથી સાથ આપનાર આ દુનિયામાં બહુ ઓછા હોય છે..
રચના..લી.જીગ્નેશ એન પંડયા(દેશપ્રેમી)-બાવળા

मित्रो बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है !बार बार वो कहते है हमे मालूम है ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ???

मित्रो बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है !बार बार वो कहते है हमे मालूम है ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ??? :गौ हत्या के खिलाफ हिन्दुस्तान ( गाय बचाओ भारत बचाओ )   
पुरी पोस्ट नही पढ़ सकते तो यहां click करे ।
http://youtu.be/6VytOKTVRN0

बार बार लगता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !??
बार बार महसूस होता है यह शाराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे
! ????

तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शारब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है ! पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ!

मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ ! जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी(right side) नाक बंद कर लो और खाली बायी(left side) नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस भरो और छोड़ो !

बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिये (active) होगी उतना इंसान का मन मजबूत होता है ! और इससे संकल्प शक्ति बढ़ती है ! चंद्र नाड़ी जीतने सक्रिये होती जाएगी आपकी मन की शक्ति उतनी ही मजबूत होती जाएगी ! और आप इतने संकल्पवान हो जाएंगे ! और जो बात ठान लेंगे उसको बहुत आसानी से कर लेगें ! तो पहले रोज सुबह 5 मिनट तक नाक की right side को दबा कर left side से सांस भरे और छोड़ो ! ये एक तरीका है ! और बहुत आसन है !

दूसरा एक तरीका है आपके घर मे एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते हैं ! राजीव भाई ने उसका बहुत इस्तेमाल किया है लोगो का नशा छुड्वने के लिए ! और उस ओषधि का नाम है अदरक ! और आसानी से सबके घर मे होती है ! इस अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! और यह अदरक ऐसे अदबुद चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा !
बहुत आसन है कोई मुश्किल काम नहीं है ! फिर से लिख देता हूँ !

अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे तो चूसो और चूसो !
जैसे ही इसका रस लाड़ मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका –तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी ! सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !

आप बोलेगे ये अदरक मैं ऐसे क्या चीज है !????

यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (क्मिस्ट्री) मे कहते है सल्फर !
अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है ! तो यह अंदर ऐसे हारमोनस को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है !

और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है की कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके शरीर मे सल्फर की कमी होती है ! तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की ! तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका राजीव भाई ने हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद प्रणाम सामने आए है ! बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे !

और इसका दूसरे उपयोग का तरीका पढे !

अदरक के रूप मे सल्फर भगवान ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दावा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दावा देदेगा ! और सल्फर नाम की दावा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे !

तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर दाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियाकड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियकरों की दारू छूट जाएगी !राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियकारों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा !

तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है !लेकिन जब आप होमिओपेथी की दुकान पर खरीदने जाओगे तो वो आपको पुछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??!
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो ! आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियकर है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा ले !आप 200 मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से ! लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह बायीं नाक से सांस ले ! और अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!


अब एक खास बात !

बहुत ज्यादा चाय और काफी पीने वालों के शरीर मे arsenic तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप arsenic 200 का प्रयोग करे !

गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने वालों के शरीर मे phosphorus तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप phosphorus 200 का प्रयोग करे !

और शराब पीने वाले मे सबसे ज्यादा sulphur तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप sulphur 200 का प्रयोग करे !!

सबसे पहले शुरुवात आप अदरक से ही करे !!

आपने पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !
अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !

वन्देमातरम !

Sunday, August 26, 2012

क्या हम आमआदमी विरोध करना भूल गए है???

>>क्या हम आमआदमी विरोध करना भूल गए है???

>>क्या हम लड़ना भूल गए है??....या फिर हम अपने अपने घर सभाल के चुप चाप बेठे है..??..आमआदमी का यह मोन क्या एक दिन देशको ले डूबेगा.??

१)आजादी के सच्चे सिपाही भगतसिंह,सुखदेव और राजगुरु जेसे देशभक्तो के
नाम दे कर लड़ने वाले हम आमआदमी आज क्यों चुप है?
२)कमरतोड़ महगाई के बिच फसे हम आमआदमी यह सब गलत है यह देख कर भी क्यों चुप है?
३)केंद्र की गलत नीतियोंका जम कर विर्रोध करने वाले हम आमआदमी आज केंद्र ने किये करोड़े के भर्ष्टाचार पर चुप क्यों है?
४)छोटे छोटे मुद्दे पर लड़ने वाले हम आमआदमी देशकी सुरक्षा,आतंकवाद और बागलादेशी घुसनखोरी के मुद्दे पर क्यों चुप है?
५)अपने देश पर किये किसीभी आतंकवादी हुमले का विर्रोध करने वाले हम आमआदमी कसाब और अफजलगुरु के फासी के मुद्दे पर क्यों चुप है?
>>>जगाओ आत्म विश्वास...मरना है एक बार... तो क्यों ना जिए शेरकी जिंदगी....जय जय माँ भारती..........वंदे मातरम....वंदे मातरम.........

Sunday, July 29, 2012

भारत सरकार के ऑफिशियल दस्तावेज के अनुसार केन्द्र की कांग्रेस सरकार भारत को विश्व का सबसे बड़ा मांस और गौ मांस उत्पादक देश बनाने के लिए "पिंक रिवोल्यूशन" की शुरूआत कर चुकी है |

मित्रों , इसके पहले कांग्रेस के प्रमुख चाहे जैसे भी हो लेकिन चूँकि उनका जन्म भारत मे हुआ था इसलिए वो थोडा बहुत तो भारतीय सभ्यता को मान देते थे .. और इस देश मे अनाज के उत्पादन के लिए ग्रीन रिवोल्यूशन [हरित क्रांति ] फिर दूध के उत्पादन को बढाने के लिए श्वेत क्रांति जैसे सकारात्मक प्रयास हुए .

लेकिन सोनिया गाँधी के कांग्रेस प्रमुख बनते ही भारत को विश्व का सबसे बड़ा गाय के कत्लगाह बनाने के लिए पिंक रिवोल्यूशन की शुरुआत की गयी है .. इसके अनुसार भारत को मांस के उत्पादक और निर्यात मे मे प्रथम स्थान दिलाना है |

केन्द्र की कांग्रेस सरकार इसके लिए ५% सब्सिडी के साथ मांस के निर्यात पर गारंटी योजना शुरू की है | यदि मांस किसी कारण रास्ते मे खराब हो जाये या कोई देश उसे लेने से मना कर दे तो केन्द्र सरकार उस नुकसान का मुवावजा देगी |

वाह रे कांग्रेस | सदियों से जिस देश मे जानवरों को देवता बनाकर पूजा जाता रहा है | हमारे सनातन धर्म के ऋसी महर्षियों ने हर एक जानवर को हिंदू धर्म से जोड़ दिया ताकि इनका अस्तिव सदाकाल तक बना रहे | नेशनल जियोग्राफिक चैनेल ने कई बार कहा है की आज अगर इस धरती पर जो जानवर बचे है उसमे हिंदू धर्म का बड़ा योगदान है क्योकि हिंदू संस्कृति मे हर एक जानवर की पूजा की जाती है |
आज कांग्रेस की इटैलियन अध्यक्ष जो इटली की है और जो देश गाय के मांस का सबसे बड़ा उपभोक्ता है और जहां बच्चो को जन्म से गाय के मांस से बने पिज्जा और बर्गर खिलाये जाते है उस कांग्रेस से हम कैसे अपेक्षा रख सकते है की वो गौ वंश के कत्लेआम पर रोक लगाये ?


संसार का सबसे बडा मांस उत्पादक देश बना कर भारत को कलंकित किया हुक्मरानों ने

भारत को कांग्रेस ने संसार की छटवां सबसे बडा गौ  मांस उत्पादक देश बना दिया .. खुशी मनाओ कांग्रेसियो मैडम की मेहनत पर |

आजादी के नाम पर देश की सरकारों ने 65 सालों में सदियों से गो माता की सेवा व पूजा करने वाले भगवान राम व भगवान श्रीकृष्ण के देश को संसार का सबसे गौ हत्यारा देश बना कर कलंकित किया। जिस देश में विदेशी आततायी ओरंजेब व फिरंगी हुक्मरानों ने जो भारत को पशु मांस उत्पादक यानी हत्यारा देश बनाने की धृष्ठता नहीं की वह कृत्य स्वतंत्र भारत की सरकारों ने मात्र 65 साल में इस देश को विश्व का सबसे बड़ा पशु-गो वंश पशु हत्यारा बना दिया। आज पूरे विश्व में भारत सबसे ज्यादा मांस उत्पादक देश बन गया है।

इस जड़ चेतन में भगवान का अंश मान कर जीवो व जीने दो का अमर संदेश पूरे विश्व को देने वाला भारत, भगवान राम व भगवान श्रीकृष्ण को मानने वालों का देश भारत, दया के सागर महावीर जैन व गौतम बुद्ध तथा अन्याय के खिलाफ सर्ववंश कुर्वान करने वाले गुरू गोविन्द सिंह का देश भारत, अहिंसा का अमर घोष करने वाले गांधी को राष्ट्रपिता मानने वाला भारत को यहां के आत्मघाती हुक्मरानों ने विश्व का सबसे बड़ा मांस उत्पादक यानी कातिल देश बना कर देश की संस्कृति व लाखों शहीदों की शहादत का घोर अपमान किया है। वहीं गौ वंश मांस का उत्पादन में भारत पाकिस्तान से दो गुना ज्यादा कर रहा है और पूरे विश्व में सबसे ज्यादा गौ वंश मांस उत्पादक यानी कातिल देश के रूप में भारत का छटवां स्थान है। इसके लिए देश के हर राजनैतिक दल गुनाहगार है। आजादी के बाद किसी भी सरकार ने ईमानदारी से भारत को कलंकित करने वाले पशु हत्यारे बनाने वाले कृत्य को रौकने का ठोस काम तक नहीं किया। देश में अपने वोट बैंक बनाने के लिए इसका विरोध या समर्थन करने का कृत्य राजनैतिक दलों ने किया। साधु संत भी कभी कभार इसका विरोध करके अपना कर्तव्य इति समझ रहे है। पत्रकार, बुद्धिजीवी व समाजसेवियों की अक्ल पर तो पत्थर ही पड गया। चंद लोग इन दिनों जंतर मंतर पर गो हत्या के खिलाफ आंदोलन चला रहे है। धरना दे रहे है। परन्तु पूरा भारतीय समाज व मीडिया को जिस प्रकार से इस मुद्दे पर शर्मनाक चुप्पी रखी है उससे लगता है देश में भारत ही मर चूका है केवल इंडिया बचा हुआ है।


 प्रस्तुत है आपकी आंखे खोलने के लिए ये देश को कलंकित करने वाले आंकडे
TOP 10 CATTLE AND BEEF PRODUCING COUNTRIES[36]
CATTLE PRODUCTION (1000 Head)
Rank    Country    2009     2010     %Chg
1    India     57,960     58,300     0.6%
2    Brazil     49,150     49,400 0.5%
3    China     42,572     41,000    -3.7%
4    United States    35,819     35,300    -1.4%
5    EU-27     30,400     30,150    -0.8%
6    Argentina    12,300     13,200    7.3%
7    Australia    9,213     10,158    10.3%
8    Russia     7,010     6,970    -0.6%
9    Mexico     6,775     6,797    0.3%
10    Colombia    5,675     5,675    0.0%

BEEF PRODUCTION (1000 MT CWE)

Rank    Country    2009    2010     %Chg
1    United States    11,889    11,789    -0.8%
2    Brazil    8,935    9,300    4.1%
3    EU-27    7,970    7,920    -0.6%
4    China    5,764    5,550    -3.7%
5    Argentina    3,400    2,800    -17.6%
6    India    2,610    2,760    5.7%
7    Australia    2,100    2,075    -1.2%
8    Mexico    1,700    1,735    2.1%
9    Russia    1,285    1,260    -1.9%
10    Pakistan    1,226    1,250    2.0%

Thursday, July 19, 2012

दर्द की कहानी.....

होता है दर्द क्या?बतायेगे किसी रोज,
दर्द की कहानी सुनायेगे किसी रोज,
ना रोक आज़ाद परिन्दोकी उडाने,
उन्हेभी दर्द होता है घुटन से हर रोज.
©रचना-जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)

Saturday, June 30, 2012

आज मेरे दोस्तको याद मेरा नाम आए!!-©रचना- जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)

दोस्त गुजरी हुई कभी तो वो शाम आए!!
आज मेरे दोस्तको याद मेरा नाम आए!!

वजह नहि हमें भुलानेकी फिरभी हम याद न आए!!
आज कोई पेगाम मेरे दोस्तका मेरे नामतो आए!!

आदत है हमें दोस्त अक्शर तनहाईमें जीनेकी!!
दर्दसे तड़पते है फिरभी तमन्ना है हमें जीनेकी!!

मिलनेके इन्तजारमें यह आश लिए है जीनेकी!!
दोस्त तुम्हारी यादोको वजह बताते है जीनेकी!!
©रचना- जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)

Wednesday, June 27, 2012

चाणक्य नीति [ हिंदी में ]: प्रथम अध्याय

१. सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु  को नमन करते हुए जो तीनो लोको के स्वामी  है, मै एक
राज्य के लिए  नीति  शास्त्र  के सिद्धांतों  को कहता हूँ. अनेक शास्त्रों  का आधार ले कर मै
यह सूत्र  कह रहा हूँ.
2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों  का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अतयंत वैभवशाली
कर्त्तव्य के सिद्धांत जात होगे. उसे पता चलेगा की किस  बात को करना चाहिए और िकसे
नहीं करना चािहए. उसे पता चलेगा की भला कया है और बुरा कया है. उसे सर्वोत्तम का भी
ज्ञान होगा.
३. इसीिलए लोगो का भला करने के िलए मै उस बात को कहता हूँ की िजससे लोग सभी
बातो को सही परिपेक्ष्य मे देखेगे.
४. एक विद्वान  भी दुखी  हो जाता है यिद वह िकसी मुर्ख  को उपदेश देता है, यदि वह एक
दुष्ट पत्नी का पालन करता है या िकसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना
लेता है.
५. दुष्ट पती, झूठा मित्र , बदमाश नौकर और सर्प  के साथ िनवास साक्षात् मृत्यु के समान है.
६ . व्यक्ति को  आने वाली मुसीबतो से िनपटकर धन संचय करना चािहए. उसे धन को
त्यागकर पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए. लेिकन यिद आत्मा की सुरक्षा की बात आती है
तो उसे धन और पती दोनो को गौण समझना चािहए.
७ . आगे आने वाली मुसीबतो के िलए धन संचय करे. ऐसा ना कहे की धनवान व्यक्ति को
मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन तेजी से घटता है.
८.  उस देश मे िनवास न करे जहा आपकी कोई इजजत नहीं, जहा आप रोजगार नहीं कमा
सकते, जहा आपके कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते .
९ . वहा एक िदन भी ना रके जहा ये पाच ना हो.
धनवान व्यक्ति ,
िवदान  व्यक्ति जो शास्त्रों को जानता हो,
राजा,
नदियाँ,
और चिकित्सक .
१० .  बुद्धिमान व्यक्ति ऐसे देश कभी ना जाए जहा ...
रोजगार कमाने का कोई माधयम ना हो.
जहा लोग िकसी से डरते न हो.
जहा लोगो को िकसी बात की लज्जा न हो.
जहा लोगो के पास बुद्धिमत्ता न हो.
जहा के लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो.
११ . नौकर की परीक्षा जब वह कर्त्तव्य का पालन  न कर रहा हो तब करे.
रिश्तेदार की परीक्षा जब आप मुसीबत मे हो तब करे.
मित्र की  परीक्षा विपरीत काल मे करे.
जब आपका वक्त अचछा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे.
१२ . अच्छा मित्र हमे तब नहीं छोड़ेगा जब हमे उसकी जररत हो, कोई दुघरटना हो गयी हो,
अकाल पड़ा हो, युद्ध चल रहा हो, जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े, जब हमे समशान
घाट जाना पड़े.
१३ . जो व्यक्ति  कसी नाशवंत चीज के िलए िजसका कभी नाश नहीं होने वाला ऐसी चीज को
छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अिवनाशी तो चला ही जाता है और इसमे कोई संदेह नहीं
की नाशवान को भी वह खो देता है.
१४ . एक बुद्धिमान व्यक्ति को चािहए की वह एक इजजतदार घर की अविवाहित कनया से
िववाह करे. यिद ऐसी कनया मे कोई वयंग है तो भी. िकसी हीन घर की लड़की से वह
सुनदर हो तो भी िववाह नहीं करना चािहए. शादी बराबरी के घरो मे हो यह उिचत है.
१५ . आप कभी इन ५ पर विश्वास ना करे.
१. निदया
२. िजसके हाथ मे शास्त्र हो.
३. पशु िजसे नाख़ून या िसंग हो.
४. औरत (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने )
५. राज घरानो के लोगो पर.
१६ . िवष मे से भी हो सके तो अमृत िनकाल ले.
यिद सोना गनदगी मे िगरा हो तो उसे उठाये और धोये और अपनाये.
यिद कोई िनचले कुल मे जनमने वाला भी आपको सर्वोत्तम ज्ञान देता है तो उसे अपनाये.
उसी तरह यिद कोई बदनाम घर की लड़की जो महान गुणो से संपनन है यिद आपको
सीख देती है तो गहण करे.
१७ .  औरतो मे मर्दों के मुकाबले .
भूख दो गुना
लजजा चार गुना
सहस छः गुण
कामना आठ गुना  होती है.

Tuesday, June 26, 2012

हार न मानने की जिद करना!!

जिन्दगी से हार मानके जीनेसे बहेतर है !
खुश रहकर हार न मानने की जिद करना!!
-:जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी):-

Saturday, June 16, 2012

EK SOCH:HINDU SANSKRUTI KA PRACHAR...PRASHAR KARANE KI JARURAT NAHI HAI!!!..........VANDE MATARAM


EK SOCH:BHRASATACHAR OR SYSTEM KE KHILAF!!!


भर्ष्टाचार और महगाई .!!!

भर्ष्टाचार और महगाई ...जहा देखो वहा यही आग है!
यह आग बुजानेकी हम और आप बाते बहोत करते है!!
पर ढोस कदम उढ़ाने से हम पीछे कदम क्यों हटाते है!
क्यों हम अपने आपको आजाद हिंन्दके नागरिक कहते है!!
(C)जिग्नेश पंडया:उप-प्रमुख,भारतीय जनता युवा मोरचो-बावला तालुका 

शिवलिंग पर दूध चढाने का क्या फ़ायदा???:Ashish Saxena के ब्लोगसे

यहाँ दो पात्र हैं : एक है भारतीय और एक है इंडियन ! आइए देखते हैं दोनों में क्या बात होती है !

इंडियन : ये शिव रात्रि पर जो तुम इतना दूध चढाते हो शिवलिंग पर, इस से अच्छा तो ये हो कि ये दूध जो बहकर नालियों में बर्बाद हो जाता है, उसकी बजाए गरीबों मे बाँट दिया जाना चाहिए ! तुम्हारे शिव जी से ज्यादा उस दूध की जरुरत देश के गरीब लोगों को है. दूध बर्बाद करने की ये कैसी आस्था है ?

भारतीय : सीता को ही हमेशा अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है, कभी रावण पर प्रश्न चिन्ह क्यूँ नहीं लगाते तुम ?

इंडियन : देखा ! अब अपने दाग दिखने लगे तो दूसरों पर ऊँगली उठा रहे हो ! जब अपने बचाव मे कोई उत्तर नहीं होता, तभी लोग दूसरों को दोष देते हैं. सीधे-सीधे क्यूँ नहीं मान लेते कि ये दूध चढाना और नालियों मे बहा देना एक बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं है !

भारतीय : अगर मैं आपको सिद्ध कर दूँ की शिवरात्री पर दूध चढाना बेवकूफी नहीं समझदारी है तो ?

इंडियन : हाँ बताओ कैसे ? अब ये मत कह देना कि फलां वेद मे ऐसा लिखा है इसलिए हम ऐसा ही करेंगे, मुझे वैज्ञानिक तर्क चाहिएं.

भारतीय : ओ अच्छा, तो आप विज्ञान भी जानते हैं ? कितना पढ़े हैं आप ?

इंडियन : जी, मैं ज्यादा तो नहीं लेकिन काफी कुछ जानता हूँ, एम् टेक किया है, नौकरी करता हूँ. और मैं अंध विशवास मे बिलकुल भी विशवास नहीं करता, लेकिन भगवान को मानता हूँ.

भारतीय : आप भगवान को मानते तो हैं लेकिन भगवान के बारे में जानते नहीं कुछ भी. अगर जानते होते, तो ऐसा प्रश्न ही न करते ! आप ये तो जानते ही होंगे कि हम लोग त्रिदेवों को मुख्य रूप से मानते हैं : ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी (ब्रह्मा विष्णु महेश) ?

इंडियन : हाँ बिलकुल मानता हूँ.

भारतीय : अपने भारत मे भगवान के दो रूपों की विशेष पूजा होती है : विष्णु जी की और शिव जी की ! ये शिव जी जो हैं, इनको हम क्या कहते हैं - भोलेनाथ, तो भगवान के एक रूप को हमने भोला कहा है तो दूसरा रूप क्या हुआ ?

इंडियन (हँसते हुए) : चतुर्नाथ !

भारतीय : बिलकुल सही ! देखो, देवताओं के जब प्राण संकट मे आए तो वो भागे विष्णु जी के पास, बोले "भगवान बचाओ ! ये असुर मार देंगे हमें". तो विष्णु जी बोले अमृत पियो. देवता बोले अमृत कहाँ मिलेगा ? विष्णु जी बोले इसके लिए समुद्र मंथन करो !

तो समुद्र मंथन शुरू हुआ, अब इस समुद्र मंथन में कितनी दिक्कतें आई ये तो तुमको पता ही होगा, मंथन शुरू किया तो अमृत निकलना तो दूर विष निकल आया, और वो भी सामान्य विष नहीं हलाहल विष !
भागे विष्णु जी के पास सब के सब ! बोले बचाओ बचाओ !

तो चतुर्नाथ जी, मतलब विष्णु जी बोले, ये अपना डिपार्टमेंट नहीं है, अपना तो अमृत का डिपार्टमेंट है और भेज दिया भोलेनाथ के पास !
भोलेनाथ के पास गए तो उनसे भक्तों का दुःख देखा नहीं गया, भोले तो वो हैं ही, कलश उठाया और विष पीना शुरू कर दिया !
ये तो धन्यवाद देना चाहिए पार्वती जी का कि वो पास में बैठी थी, उनका गला दबाया तो ज़हर नीचे नहीं गया और नीलकंठ बनके रह गए.

इंडियन : क्यूँ पार्वती जी ने गला क्यूँ दबाया ?

भारतीय : पत्नी हैं ना, पत्नियों को तो अधिकार होता है ..:P किसी गण की हिम्मत होती क्या जो शिव जी का गला दबाए......अब आगे सुनो
फिर बाद मे अमृत निकला ! अब विष्णु जी को किसी ने invite किया था ????
मोहिनी रूप धारण करके आए और अमृत लेकर चलते बने.

और सुनो -
तुलसी स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, स्वादिष्ट भी, तो चढाई जाती है
कृष्ण जी को (विष्णु अवतार).

लेकिन बेलपत्र कड़वे होते हैं, तो चढाए जाते हैं भगवान भोलेनाथ को !

हमारे कृष्ण कन्हैया को 56 भोग लगते हैं, कभी नहीं सुना कि 55 या 53 भोग लगे हों, हमेशा 56 भोग !
और हमारे शिव जी को ? राख , धतुरा ये सब चढाते हैं, तो भी भोलेनाथ प्रसन्न !

कोई भी नई चीज़ बनी तो सबसे पहले विष्णु जी को भोग !
दूसरी तरफ शिव रात्रि आने पर हमारी बची हुई गाजरें शिव जी को चढ़ा दी जाती हैं......

अब मुद्दे पर आते हैं........इन सबका मतलब क्या हुआ ???

_________________________________________________________________
विष्णु जी हमारे पालनकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का रक्षण-पोषण होता है वो विष्णु जी को भोग लगाई जाती हैं !
_________________________________________________________________

और शिव जी ?

__________________________________________________________________
शिव जी संहारकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का नाश होता है, मतलब जो विष है, वो सब कुछ शिव जी को भोग लगता है !
_________________________________________________________________

इंडियन : ओके ओके, समझा !

भारतीय : आयुर्वेद कहता है कि वात-पित्त-कफ इनके असंतुलन से बीमारियाँ होती हैं और श्रावण के महीने में वात की बीमारियाँ सबसे ज्यादा होती हैं. श्रावण के महीने में ऋतू परिवर्तन के कारण शरीर मे वात बढ़ता है. इस वात को कम करने के लिए क्या करना पड़ता है ?
ऐसी चीज़ें नहीं खानी चाहिएं जिनसे वात बढे, इसलिए पत्ते वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिएं !

और उस समय पशु क्या खाते हैं ?

इंडियन : क्या ?

भारतीय : सब घास और पत्तियां ही तो खाते हैं. इस कारण उनका दूध भी वात को बढाता है ! इसलिए आयुर्वेद कहता है कि श्रावण के महीने में (जब शिवरात्रि होती है !!) दूध नहीं पीना चाहिए.
इसलिए श्रावण मास में जब हर जगह शिव रात्रि पर दूध चढ़ता था तो लोग समझ जाया करते थे कि इस महीने मे दूध विष के सामान है, स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, इस समय दूध पिएंगे तो वाइरल इन्फेक्शन से बरसात की बीमारियाँ फैलेंगी और वो दूध नहीं पिया करते थे !
इस तरह हर जगह शिव रात्रि मनाने से पूरा देश वाइरल की बीमारियों से बच जाता था ! समझे कुछ ?

इंडियन : omgggggg !!!! यार फिर तो हर गाँव हर शहर मे शिव रात्रि मनानी चाहिए, इसको तो राष्ट्रीय पर्व घोषित होना चाहिए !

भारतीय : हम्म....लेकिन ऐसा नहीं होगा भाई कुछ लोग साम्प्रदायिकता देखते हैं, विज्ञान नहीं ! और सुनो. बरसात में भी बहुत सारी चीज़ें होती हैं लेकिन हम उनको दीवाली के बाद अन्नकूट में कृष्ण भोग लगाने के बाद ही खाते थे (क्यूंकि तब वर्षा ऋतू समाप्त हो चुकी होती थी). एलोपैथ कहता है कि गाजर मे विटामिन ए होता है आयरन होता है लेकिन आयुर्वेद कहता है कि शिव रात्रि के बाद गाजर नहीं खाना चाहिए इस ऋतू में खाया गाजर पित्त को बढाता है !
तो बताओ अब तो मानोगे ना कि वो शिव रात्रि पर दूध चढाना समझदारी है ?

इंडियन : बिलकुल भाई, निःसंदेह ! ऋतुओं के खाद्य पदार्थों पर पड़ने वाले प्रभाव को ignore करना तो बेवकूफी होगी.

भारतीय : ज़रा गौर करो, हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है ! ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते !

जिस संस्कृति की कोख से मैंने जन्म लिया है वो सनातन (=eternal) है, विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें ) Ashish Saxena)

Monday, June 11, 2012

इस वीर क्रांतिकारी को सम्पूर्ण भारतवर्ष का शत शत नमन।:POST BY:~शंखनाद

शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी विक्रमी संवत् १९५४ को उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद जी भारत के महान क्रान्तिकारी व अग्रणी स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, अपितु उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी।
'बिस्मिल' उनका उर्दू उपनाम था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है 'आत्मिक रूप से आहत'। बिस्मिल के अतिरिक्त वे 'राम' और 'अज्ञात' के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रक्खा और ३० वर्ष की आयु में , काकोरी-काण्ड के आरोप में फाँसी चढ़ गये (सेशन जज ए० हैमिल्टन ने ११५ पृष्ठ के निर्णय में प्रत्येक क्रान्तिकारी पर लगाये गये गये आरोपों पर विचार करते हुए यह लिखा कि यह कोई साधारण ट्रेन डकैती नहीं, अपितु ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की एक सोची समझी साजिश है)।
आज हमारे देश को फिर से आवश्यकता है पंडित जी की ।
इस वीर क्रांतिकारी को सम्पूर्ण भारतवर्ष का शत शत नमन।
जय हिंद !
POST BY:~शंखनाद

Friday, June 8, 2012

भारतीय रुपये के अवमूल्यन पर "CONGRESSIO" कहते हैं कि ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय कारणों से हो रहा है और उनके पास कोई 'जादू की छ्ड़ी' नहीं है, जिससे वे रुपये का मूल्य ऊँचा उठा सकें..Post By:Mukul Shrivastava

भारतीय रुपये के अवमूल्यन पर "वे" कहते हैं कि ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय कारणों से हो रहा है और उनके पास कोई 'जादू की छ्ड़ी' नहीं है, जिससे वे रुपये का मूल्य ऊँचा उठा सकें..

जबकि असलियत यह है कि-
1. विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अमेरिका को खुश करने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं;
2. स्विस बैंकों में डॉलर के रुप में जमा काले धन का मूल्य बढ़ाने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं; और-
3. निर्यातकों के साथ उनकी साँठ-गाँठ है, उन्हें फायदा पहुँचाने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं.

रुपये का मूल्य ऊँचा उठाने के लिए किसी 'जादू की छड़ी' की जरुरत नहीं है. वर्तमान में निम्न कदम उठाकर रुपये के मूल्य को ऊँचा उठाया जा सकता है.

* निर्यात को सरकारी प्रोत्साहन/संरक्षण न देकर तथा आर्थिक विशेषज्ञों से सही सलाह लेकर रुपये के ‘मूल्य’ को उसके सही स्तर पर पहुँचाने की कोशिश की जा सकती है.

* रुपये का मूल्य बढ़ाने के लिए अगर "स्वर्ण भण्डार" में बढ़ोतरी की जरुरत पड़ी, तो उसके लिए दो उपाय अपनाये जा सकते हैं.

क) देश भर में विशेष अभियान चलाकर लॉकरों तथा घरों से कालेधन के रुप में जमा सोने को जब्त कर उसे सरकारी स्वर्णभण्डार तक पहुँचाया जायेगा ('लॉकर' प्रणाली की सही व्यवस्था लागू कर के या इनकी 'गोपनीयता' समाप्त की जा सकती है.

ख) अनेक समृद्ध मन्दिरों/ट्रस्टोंके आदि लिए नियम/कानून बनाया जा सकता है कि वे अपने स्वर्णभण्डार का 50 प्रतिशत अंश देश के नाम कर दें (इस अंश को स्थानान्तरित नहीं किया जायेगा, बल्कि मन्दिर/ट्रस्ट के ही भण्डार में ही रखा जा सकता है.

Wednesday, June 6, 2012

कलयुग के श्रवण कुमार!!!

कलयुग के इस श्रवण कुमार की मातृ भक्ति के कायल पूरे जबलपुर के लोग है। यह युवक अपनी मां को पिछले 14 वर्षों से कंधे पर बांस के सहारे दो टोकरियों में बैठाकर तीर्थदर्शन करवा रहा है। इन्हें देखकर हर कोई हैरान है और इनके किए हुए संकल्प को लोग प्रणाम कर रहे है। कैलाश नाम का यह युवक मध्यप्रदेश के जबलपुर का है और वर्तमान में बद्रीनाथ व केदारनाथ के दर्शन कराके अपनी मां को लेकर दूसरे तीर्थ पर जाने का विचार कर रहा है।

Monday, June 4, 2012

कि विदेश से आयात कर ली हाय हमने महामारी!’राष्ट्र के जनहित में जारी –एक बार और अटल बिहारी

तिल का ताड़ बनाते हैं चिल्लाते विदेशी मूल
सफ़ेद चमडी देख इनके ह्रदय में चुभता शूल
या कहेंगे ‘नही है ग्रजुएट गई है सिर्फ़ स्कूल’
अरे मूर्ख देखो मामले को बेवज़ह देते तूल!

मर्दों के जब झूंड को ललकारती है इक नारी
तो भाग कोने में छुपे नेता हो या हो व्यापारी !
और जारी न हो जाए कहीं विज्ञप्ति ये सरकारी -
‘कि विदेश से आयात कर ली हाय हमने महामारी!’

चुनाव से पहले देखो चिल्लाती थी भाजपा सरकार -
कि’ कमल करेगा सपने साकार न कि इटली की खरपतवार’!
और बैठ सिंहासन पे देखो टपकाते थे इतनी लार
कि चिपचिपी हो जाती थी भारत कि भूमि बार-बार!

बस करो नहीं चाहिए मुझे ऐसा प्रधानमंत्री
जो आँखें खोल सोता है और बनता फिरता संतरी
हाथ में माला लिए बस करता ॐ ! हरि हरि !
समस्याएं सुलझाएंगी मानो आसमां से आ लाल परी!

मुझे यकीन है देश को बेहतर संभालेगी इक नारी
पुरूष तो अक्सर पड़े इस देश पे ही भारी !
तो लो आज में करता हूँ ये विज्ञप्ति जारी -
‘जो कर रहे हैं विरोध, उनकी गई है मति मारी!’

देखो भारत हो या इटली, मानव तो मानव है
और क्या गारंटी है कि अपना भारतीय नही दानव है ?!
‘पश्चिमी भाग में अभी दबे हजारों शव हैं
और कहते हो की भारतीय ही भारतीयों से करते लव हैं!’

अरे पगले ! वो सोनिया गाँधी है, नहीं इटली की मुसोलिनी
तू तो ऐसे भय खाता मनो तेरी आजादी छिनी
मुझे तो आने लगी है अभी से खुशबू भीनी भीनी
मुह मीठा कराओ जी, लाओ मिठाई गुड चीनी!

अंग्रेज मेरे देश को उतना न लूट पाये
जितना मेरे अपनो ने ही भारत पे जुल्म ढाए
निःसंकोच उसके हाथ में दूँगा देश की कमान
‘इटली हो या जापान, बस होना चाइये इंसान’!
                                                                                                           BY:ATAL BIHARI BAJAPAI

हक़ीकत तो ये है, खो गया है मेरा असली चेहरा ......

मेरे चेहरे पर आज, एक और चेहरा
मैं देखता हूँ ,हर तरफ चेहरे पर एक और चेहरा
जब कभी लेकर चला, मैं अपना चेहरा
दुनिया को नही भाया मेरा, असली चेहरा
मैने भी औड लिया चेहरा, बिल्कुल वैसा
तुम्हे पसंद है, ये है अब वही चेहरा
असल में तो अब मेरे पास हैं, कई चेहरे
वक़्त के हिसाब से में बदल लेता हूँ, चेहरा
अब कहीं भी नहीं ले जाता हूँ, असली चेहरा
जब तक था, मेरे पास एक ही चेहरा
तुम्हे भी पसंद नहीं था, मेरा असली चेहरा
हक़ीकत तो ये है, खो गया है मेरा असली चेहरा

Saturday, June 2, 2012

कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के जबानों से हथियार बापसले कर उनको थमा दी गयी लाठियां .......CONGRESS KA BHAYANAK CHAHERA!!!

ब्रेकिंग न्यूज़..!!!
कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के जबानों से हथियार बापसले कर उनको थमा दी गयी लाठियां .......
CRPF के निहत्थे जबानोंपर आतंकियों ने स्वचालित हथियारों से किया हमला
जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों और आतंक समर्थकों के हमले ब पत्थरबाजो से बचाब के लिए कश्मीर घाटी में तैनात सुरक्षा बलों केहथियार बापस ले कर सरकार ने उनको होमगार्ड बाली लाठियों थमा दी हैं ... इन जवानों को लाठी दिए जाने के पीछे सरकार का तर्क है कि बंद के दौरान जब कभी लोग पथराव करते हैं तो उत्तेजित होकर जवान गोली चला सकते हैं। इससे अनावश्यक किसी कीजान जाती है और वादी के हालात बिगड़ जाते हैं।इसलिए जवानों को लाठी दी गई थी। इस वीच कश्मीर में CRPF के निहत्थे जबानों पर आतंकियों ने आतंकियों ने स्वचालित हथियारों से डल झील से मात्र डेढ़ किलोमीटर दूर घातलगाकर हमला किया जिसमेसुरक्षा बल के सात जवान घायल हो गए है|
इस बात को लेकर काँग्रेस कि नीती शक के दायरे में आती हैं

Monday, May 28, 2012

सी.पी.एम के नेता एम.एम. मणि जिन्होंने हजारों संघ के निर्दोष कार्यकर्ताओं की हत्याओं की बात स्वीकारी है ||

कल एक सी.पी.एम के नेता एम.एम. मणि जिन्होंने हजारों संघ के निर्दोष कार्यकर्ताओं की हत्याओं की बात स्वीकारी है || और यह नालायक मीडिया जी न्यूज पर बुलेटिन (रक्त की राजनीति) मैं की आर.एस.एस. वालों ने इनके हाथ काट डाले, उनके पाँव काट डाले इत्यादि :)
जबकि सब जानते हैं की रक्त की राजनीति संघ नहीं मार्क्सवादी/माओवादी/काग-रसियों का पसंदीदा विषय है!!
विदेशी चंदों और काग-रसियों के चंदे से चलने वाले भांडो, कितना भी ढिंढोरा पीटो.. कम्युनिष्ट नेता ने स्वयं स्वीकार किया है उसको तो बदल नहीं सकते ना झुंट के लाउडस्पीकरों |||
किन्तु जब नरेंद्र मोदी जी ने इस सी.पी.एम. के नेता और केरल मैं हुई हत्याओं की बात की जांच की मांग करी तो सभी विरोधी सक्रीय हो गए और भाण्ड मीडिया तो अगुवा है ही :)
यह सी.पी.एम के नेता एम.एम. मणि का वीडियो जो यह स्वीकार कर रहा है की संघ के निर्दोष कार्यकर्ताओं की हत्याओके पीछे उनके सी.पी.एम कार्यकर्ताओ का हाथ है!!link:http://www.youtube.com/watch?v=bhEj9lSEGlw&feature=youtube_gdata

Saturday, May 26, 2012

रचना - क्या यह लोकतंत्र है !! लेखक -जिग्नेश पंडया

रचना - क्या यह लोकतंत्र है !! BY:लेखक -जिग्नेश पंडया

आमआदमी बेहाल सरकार माला-माल है ...क्या यह लोकतंत्र है !!
अन्धोकी सरकार बनीहै अंधा उसका राजा...क्या यह लोकतंत्र है !!

आमआदमी सोच रहा है "क्या करेगे हम" ....क्या यह लोकतंत्र है !!
हमारे द्वारा बनी सरकार हमें आंखे दिखाए ...क्या यह लोकतंत्र है !!

आमआदमी परेसानहै मोघवारी,भ्रष्टाचारसे..क्या यह लोकतंत्र है !!
जबभी आई मोघवारी लायी यह यु.पी.ऐ सरकार..क्या यह लोकतंत्र है !!

आमआदमी ही क्यों वोट देते इन देशद्रोही-गद्दारों को..क्या यह लोकतंत्र है !!
अफजल-कसाब इनके जमाई नाम ना लेना उनका...क्या यह लोकतंत्र है !!

--जय हिंद,भारत माता की जय
--जिग्नेश पंडया-उप-प्रमुख,भारतीय जनता युवा मोरचो-बावला तालुका

Saturday, May 19, 2012

भ्रष्टाचार :काका हाथरस्सी का हास्य काव्य


राशन की दुकान पर, देख भयंकर भीर
‘क्यू’ में धक्का मारकर, पहुँच गये बलवीर
पहुँच गये बलवीर, ले लिया नंबर पहिला
खड़े रह गये निर्बल, बूढ़े, बच्चे, महिला
कहँ ‘काका' कवि, करके बंद धरम का काँटा
लाला बोले - भागो, खत्म हो गया आटा

Sunday, May 13, 2012

यमराज का इस्तीफा -अमित कुमार सिंह

एक दिन
यमदेव ने दे दिया
अपना इस्तीफा।
मच गया हाहाकार
बिगड़ गया सब
संतुलन,
करने के लिए
स्थिति का आकलन,
इन्द्र देव ने देवताओं
की आपात सभा
बुलाई
और फिर यमराज
को कॉल लगाई।

'डायल किया गया
नंबर कृपया जाँच लें'
कि आवाज तब सुनाई।

नये-नये ऑफ़र
देखकर नम्बर बदलने की
यमराज की इस आदत पर
इन्द्रदेव को खुन्दक आई,

पर मामले की नाजुकता
को देखकर,
मन की बात उन्होने
मन में ही दबाई।
किसी तरह यमराज
का नया नंबर मिला,
फिर से फोन
लगाया गया तो
'तुझसे है मेरा नाता
पुराना कोई' का
मोबाईल ने
कॉलर टयून सुनाया।

सुन-सुन कर ये
सब बोर हो गये
ऐसा लगा शायद
यमराज जी सो गये।

तहकीकात करने पर
पता लगा,
यमदेव पृथ्वीलोक
में रोमिंग पे हैं,
शायद इसलिए,
नहीं दे रहे हैं
हमारी कॉल पे ध्यान,
क्योंकि बिल भरने
में निकल जाती है
उनकी भी जान।

अन्त में किसी
तरह यमराज
हुये इन्द्र के दरबार
में पेश,
इन्द्रदेव ने तब
पूछा-यम
क्या है ये
इस्तीफे का केस?
यमराज जी तब
मुँह खोले
और बोले-

हे इंद्रदेव।
'मल्टीप्लैक्स' में
जब भी जाता हूँ,
'भैंसे' की पार्किंग
न होने की वजह से
बिन फिल्म देखे,
ही लौट के आता हूँ।
'बरिस्ता' और 'मैकडोन्लड'
वाले तो देखते ही देखते
इज्जत उतार
देते हैं और
सबके सामने ही
ढ़ाबे में जाकर
खाने-की सलाह
दे देते हैं।

मौत के अपने
काम पर जब
पृथ्वीलोक जाता हूँ
'भैंसे' पर मुझे
देखकर पृथ्वीवासी
भी हँसते हैं
और कार न होने
के ताने कसते हैं।
भैंसे पर बैठे-बैठे
झटके बड़े रहे हैं
वायुमार्ग में भी
अब ट्रैफिक बढ़ रहे हैं।
रफ्तार की इस दुनिया
का मैं भैंसे से
कैसे करूँगा पीछा।
आप कुछ समझ रहे हो
या कुछ और दूँ शिक्षा।

और तो और, देखो
रम्भा के पास है
'टोयटा'
और उर्वशी को है
आपने 'एसेन्ट' दिया,
फिर मेरे साथ
ये अन्याय क्यों किया?
हे इन्द्रदेव।
मेरे इस दु:ख को
समझो और
चार पहिए की
जगह
चार पैरों वाला
दिया है कह
कर अब मुझे न
बहलाओ,
और जल्दी से
'मर्सिडीज़' मुझे
दिलाओ।
वरना मेरा
इस्तीफा
अपने साथ
ही लेकर जाओ।
और मौत का
ये काम
अब किसी और से
करवाओ।

Wednesday, May 9, 2012

किरण बेदी भारत की पहली महिला आई.पी.स.है !

लोग कहते है किरण बेदी NGO का खाती है शायद उन लोगो को किरण बेदी का इतिहास नहीं मालुम है भारत की पहली महिला आई.पी.स.है ! अपनी इमानदारी ओर साहस की बजह से अपनी नोकरी के दोरान कितना नुक्सान उठाया था आय दिन तबादले झेले इन्होने .जब इसको सजा के तोर पर ट्राफिक इन्स्पेक्टर बना दिया गया तो इसने नो पार्किंग जोन में खड़ी.. इंदरा गांधी की गाडी को उठा कर चालान कर दिया था जबकि उस दोर में किसी की भी इन्द्रा के सामने बोलने की हिम्मत तक नहीं होती थी .तब फिर इसको सजा के तोर पर मणिपुर भेज दिया गया था उन दिनों मणिपुर के हालत कितने खराब थे ?? इसको कभी प्रमोशन नहीं मिला अपनी इमानदारी के चलते ! यदि ये भ्रष्ट होती तो आज ये भी ओर भ्रष्ट तालुआचात अफसरों की तरह मजे की जिंदगी जी रही होती उसको क्या मतलब होता भारत की जनता से !!

Monday, May 7, 2012

Today is the 151st birth anniversary of Rabindranath Tagore

रवीन्द्रनाथ टैगोर को जब नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था, तो उस समय अंग्रेजी में उनकी संक्षिप्त जीवनी लिखी गई थी जिसे कि Les Prix Nobel पुस्तक श्रंखला में प्रथम बार प्रकाशित किया गया था। अंग्रेजी में लिखा गया रवीन्द्रनाथ टैगोर का वह जीवन परिचय नोबलप्राइज.ऑर्ग में उपलब्ध है (लिंक है – Rabindranath Tagore) । प्रस्तुत है उसी अंग्रेजी लेख का हिन्दी भावानुवाद http://www.nobelprize.org/nobel_prizes/literature/laureates/1913/tagore.html
रवीन्द्रनाथ टैगोर (1861-1941) देबेन्द्रनाथ टैगोर के कनिष्ठ पुत्र थे, देबेन्द्रनाथ ब्रह्मसमाज, जो कि उन्नीसवीं सदी के बंगाल का एक नया धार्मिक पंथ था तथा उपनिषद में वर्णित परम वेदान्त के आधार पर हिन्दू धर्म के पुनरुद्धार के उद्देश्य से बना था, के प्रमुख थे। रवीन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा-दीक्षा घर में ही हुई थी, यद्यपि सत्रह वर्ष की आयु में उन्हें औपचारिक शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया, किन्तु उन्होंने वहाँ पर वे अपनी शिक्षा पूर्ण न कर सके। परिपक्व अवस्था प्राप्त होने पर उन्हें अपने बहु-आयामी साहित्यिक गतिविधियों के अलावा अपने पारिवारिक भू-संपदा की व्यवस्था भी करनी पड़ी जिसके कारण वे सामान्य लोगों के सम्पर्क में आए और सामाजिक सुधारों के प्रति उनकी रुचि विकसित हुई। साथ ही उन्होंने शान्तिनिकेतन में एक प्रयोगात्मक स्कूल का संचालन भी आरम्भ कर दिया जिसमें वे उपनिषदों में निहित आदर्शों की शिक्षा देने का प्रयास करते थे। समय समय पर उन्होंने गैर भावुक तथा दूरदर्शी तरीकों से भारतीय राष्ट्रवादी आन्दोलनों में भी भाग लिया ‌तथा आधुनिक भारत के राजनीतिक पिता गांधी उनके समर्पित मित्र थे। टैगोर को 1915 में सत्तारूढ़ ब्रिटिश सरकार ने नाइट की उपाधि प्रदान की, लेकिन कुछ ही वर्षों के भीतर उसे उन्होंनें भारत में ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ एक विरोध के रूप में वापस कर दिया।
जल्दी ही वे अपनी मातृभूमि बंगाल में सफल लेखक के रूप में ख्याति मिल गई। उनकी कुछ कविताओं के अनुवाद के कारण उन्होंने पश्चिम में भी अपनी पहचान बना ली। वास्तव में उनकी ख्याति ऊँचाइयों को छूने लगी और उन्हें व्याख्यान तथा मित्रता के उद्देश्य से महद्वीपों की यात्राएँ करवाने लगी। संसार के लिए वे भारत की आध्यात्मिक विरासत की आवाज बन गए, और भारत के लिए, वशेषतः बंगाल के लिए, वे एक जीती-जागती महान संस्था बन गए। यद्यपि उन्होंने साहित्य की सभी विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई किन्तु मूलतः वे एक कवि थे।
उनके पचास बेजोड़ कविता संग्रहों में से कुछ हैं – मानसी (1890) [एक आदर्श], सोनार तारी (1894) [सुनहरी नाव], गीतांजलि (1910) [गीत प्रस्तुति], गीतिमाल्य (1914) [गानों का पुष्पहार], और बालक (1916) [क्रेन की उड़ान]। उनकी कविताओं के अंग्रेजी प्रस्तुतीकरण, जिसमें Gardener (1913), Fruit-Gathering (1916), और The Fugitive (1921) शामिल हैं, आम तौर पर मूल बंगाली प्रस्तुति के अनुरूप नहीं हैं किन्तु उनमें से अधिकतर प्रशंसित हैं।
टैगोर के प्रमुख नाटक हैं राजा (1910) [अंधेरी कोठरी का राजा], डाकघर (1912) [पोस्ट ऑफिस], अचलायतन (1912) [अचल], मुक्तधारा (1922) [झरना], और रक्तरवि (1926)। उन्होंने अनेक लघुकथाओं तथा उपन्यासों की भी रचना की है जिनमें से कुछ हैं – गोरा (1910), घरे-बारे (1916), और योगायोग (1929)। इसके अतिरिक्त उन्होंने संगीत नाटक, नृत्य नाटक, सभी प्रकार के निबंध, यात्रा डायरी, और दो आत्मकथाएँ भी लिखी हैं। टैगोर ने हमें अनेक चित्रकारी तथा पेंटिंग्स और गीत, जिनके लिए उन्होंने स्वयं सगीत रचना भी की थी, प्रदान किए हैं।
तो यह था रवीन्द्रनाथ टैगोर का वह परिचय जिसे कि उन्हें नोबल पुरस्कार प्रदान करते समय लिखा गया था। किन्तु इसके अलावा भी उनके विषय में अनेक उल्लेखनीय बाते हैं जैसे कि -
  • उन्होंने एक हजार से भी अधिक कविताओं तथा दो हजार से भी अधिक गीतों की रचना की है!
  • वे एक संगीतकार, अभिनेता, गायक और जादूगर भी थे!
  • उनके लिखे गीत दो देशों के राष्ट्रगान हैं – एक भारत का और दूसरा बँगलादेश का!
  • आज भी बंगाल में उनके गीत-संगीत के बगैर कोई समारोह शुरू नहीं होता!
….आदि-आदि-इत्यादि।
वास्तव में कहा जाए तो रवीन्द्रनाथ टैगोर उन साहित्य-स्रष्टाओं में से एक हैं जिन्हें भाषा स्थान, काल की सीमाओं में बाँधा ही नहीं जा सकता। उनकी कीर्ति अक्षय है।

सच्चाई यह इंदिरा गाँधी परिवारकी:--

एक गाँव का लड़का अपने पिताजी से पूछता है की काकाजी, क्या राहुल गाँधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के पोते है,???

उसके पिताजी ने जोड़ना शुरू किया तो पाया की इस गाँधी परिवार की शुरुआत कहा से हुई है, उसका दिमाग चकरा गया फिर बेटे का दिल रखने लिए उसने कह दिया, हा, राहुलजी गाँधी बाबा के परपोते है,

परन्तु उसका खुद दिल इस बोझ से दब गया की वह स्वयं अपने बेटे को बिना जानी जानकारी दे रहा है. जब बच्चा स्कूल चला गया तो वह गाव के हेडमास्टर जी के पास गया जो स्कूल जाने को तैयार थे, हेडमास्टर जी किसान का प्रश्न जानकर हैरान रह गए , सोचे थे यह हमसे पैसा माँगने आया होगा, फिर उन्होंने किसान को गाँधी परिवार की पूरी सच्चाई बताई तो किसान को अपनी अज्ञानता पर बड़ा क्रोध आया की उसे यह सब क्यों पता नहीं है,

1-राहुल का असली नाम है रौल विंसी/विन्ची ...

2-यह हिन्दू नहीं है, यह एक रोमन कथोलिक इसाई है,

3-इनकी माँ का नाम है एंटोनिया माईनो (Antonia Maino ), सोनिया गाँधी नाम बाद में भारतीयों के लिए रखा गया है, जिससे लोग जाने की यह गाँधी खानदान की है.

4-राहुल के पिता राजीव गाँधी पहले मुस्लिम थे, परन्तु एंटोनिया माईनो से शादी करने के तुरंत पहले यह इसाई बन गए.

5-राहुल जी के दादाजी का नाम था- फ़िरोज़ खान और फ़िरोज़ खान के पिताजी का नाम था नवाब खान जो एक किराना दुकान चलाते थे.

6-राहुल की दादी इंदिरा जी की शादी फ़िरोज़ खान के साथ हुई थी और शादी पहले वह मुस्लमान बन गयी थी.

7-राजीव जी के पिताजी का नाम फ़िरोज़ खान था और उनके दादाजी का नाम नवाब खान था.नवाब खान की शादी एक पारसी औरत से हुई थी जो शादी से पहले मुस्लमान बन गयी थी. राजीव गाँधी स्वयं शादी से पहले मुस्लिम से इससे बने थे.

8-इंदिरा जी ने जब फिरोज खान जी से शादी की थी तो सबको मालूम न पड़े की वह एक मुसलमान है, अपने नाम के आगे गाँधी शब्द जोड़ दिया जिससे लोग इस बारे में सोचे ही नहीं, इसी के साथ फ़िरोज़ ने भी अपने नाम के आगे गाँधी जोड़ दिया, यही से इस मुस्लिम परिवार के नाम में गाँधी लगाने लगा है. नेहरू जी तो राजीव के नाना थे जो ननिहाल की खानदान को बताता है, राजीव तक यह परिवार मुस्लिम था परन्तु एंटोनिया माईनो के बाद ये सब रोमन कैथोलिक इसाई है.

9-प्रियंका जी का असली नाम बियांका (बियंका) है और उनकी शादी एक इसाई राबर्ट बढेरा से हुई है. राबर्ट बढेरा की जाँच भारत के हवाई अड्डे पर नहीं की जाती है.

इस बात को जब किसान ने अपने बेटे को बताया बेटे ने बोला की अब मुझे आप पता करके बताइए की जवाहर लाल जी के दादा जी कौन थे इस समय नहीं फुर्सत में पता करके बताइए, मै कल पूछूँगा.
अब वह किसान किसी दिन आपको मिल जायेगा और नेहरू खानदान की जानकारी मागेगा, , इसलिए उसे बताने से पहले स्वयं सच्चाई जानिए और पता लग जाये तो मुझे भी मेल कर देना, किसान मुझसे भी तो मिल सकता है....... जरुर मेल करियेगा ....

Sunday, May 6, 2012

यह पढ़ाया जा रहा है आपके बच्चों को.....जरूर पढ़ें और शेयर करें !

*** यह पढ़ाया जा रहा है आपके बच्चों को.....जरूर पढ़ें और शेयर करें !

* वैदिक काल में विशिष्ट अतिथियों के लिए गौमांस का परोसा जाना सम्मान सूचक माना जाता था।
(कक्षा 6-प्राचीन भारत, पृष्ठ 35, लेखिका-रोमिला थापर)

* महमूद गजनवी ने मूर्तियों को तोड़ा और इससे वह धार्मिक नेता बन गया।
(कक्षा 7-मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 28)

* 1857 का स्वतंत्रता संग्राम एक सैनिक विद्रोह था।
(कक्षा 8-सामाजिक विज्ञान भाग-1, आधुनिक भारत, पृष्ठ 166, लेखक-अर्जुन देव, इन्दिरा अर्जुन देव)

* महावीर 12 वर्षों तक जहां-तहां भटकते रहे। 12 वर्ष की लम्बी यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार भी अपने वस्त्र नहीं बदले। 42 वर्ष की आयु में उन्होंने वस्त्र का एकदम त्याग कर दिया।
(कक्षा 11, प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)

* तीर्थंकर, जो अधिकतर मध्य गंगा के मैदान में उत्पन्न हुए और जिन्होंने बिहार में निर्वाण प्राप्त किया, की मिथक कथा जैन सम्प्रदाय की प्राचीनता सिद्ध करने के लिए गढ़ ली गई।
(कक्षा 11-प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)

* जाटों ने, गरीब हो या धनी, जागीरदार हो या किसान, हिन्दू हो या मुसलमान, सबको लूटा।
(कक्षा 12 - आधुनिक भारत, पृष्ठ 18-19, विपिन चन्द्र)

* रणजीत सिंह अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैरों की धूल अपनी लम्बी सफेद दाढ़ी से झाड़ता था।
(कक्षा 12 -पृष्ठ 20, विपिन चन्द्र)

* आर्य समाज ने हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियों, सिखों और ईसाइयों के बीच पनप रही राष्ट्रीय एकता को भंग करने का प्रयास किया।
(कक्षा 12-आधुनिक भारत, पृष्ठ 183, लेखक-विपिन चन्द्र)

* तिलक, अरविन्द घोष, विपिनचन्द्र पाल और लाला लाजपतराय जैसे नेता उग्रवादी तथा आतंकवादी थे
(कक्षा 12-आधुनिक भारत-विपिन चन्द्र, पृष्ठ 208)

* 400 वर्ष ईसा पूर्व अयोध्या का कोई अस्तित्व नहीं था। महाभारत और रामायण कल्पित महाकाव्य हैं।
(कक्षा 11, पृष्ठ 107, मध्यकालीन इतिहास, आर.एस. शर्मा)

* वीर पृथ्वीराज चौहान मैदान छोड़कर भाग गया और गद्दार जयचन्द गोरी के खिलाफ युद्धभूमि में लड़ते हुए मारा गया।
(कक्षा 11, मध्यकालीन भारत, प्रो. सतीश चन्द्र)

* औरंगजेब जिन्दा पीर थे।
(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 316, लेखक-प्रो. सतीश चन्द्र)

* राम और कृष्ण का कोई अस्तित्व ही नहीं था। वे केवल काल्पनिक कहानियां हैं।
(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 245, रोमिला थापर)

आज ये शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से मैकाले के सिद्धांत पर चल रही है, हमे हमारे संस्कृति से और दूर ले जा रही है। आप आज जो ये नस्ल, अंग्रेजो की गुलामी वाली मानसिकता, इनके उत्सवो को जोर -सर से मनाने पीढिया और अपने संस्कृति का बिलकुल भी ध्यान ना रखने वाले ये जो लोग भी है, ये समझते है की वो बहुत ही ज्ञानी, विद्वान और आधुनिक लोग है।

आज आप इन्हें इनके विचार और ब्रितानी स्टाईल पर प्रश्न चिन्ह लगाओगे तो ये आग-बबोला हो उठेंगे और आप को अनपढ़ और गवार और Show-Off करने वाला भी कह सकते है।

घोर आश्चर्य है कि भारत में मैकाले अभी तक जिन्दा है......!!

आनॆ वाली "शांन्घाइ" फ़िल्म मे एक गाना मेने कल देखा उसमे इमरान हासमि जिनको हम हिरो कहेते है!!वह इतनि बुरि(टपोरिक़ि)तरहसे डान्स कर रहा था!!ओर वह जिस गाने पर डान्स कर रहाथा वह हमारि "भारत माताके नामसे" जुडा है,वह गाना यह है फिल्म"शांन्घाइ"गाना:भारत माताकि...भारत माताकि...., सोने कि चिडिया...डेन्गु-मलेरिया...,गोबरभि... आगे कई गलत शब्दोका उपयोग किया है वह मे यहा नहि रखना चाहता!!! कयु हमहि अपनि देशकि संस्क्रुतिका ओर अपने देशका अपमान सहन करते है,यह सेन्सर बोड क्या कर रहा है.उसमे बेढे लोग कया अमेरिकनोकि ओलादे है!!!दोस्तो इतना विरोध करोकि यह गाने पर केन्द्र सरकार बेन लगाने पर मजबुर हो जाये..:Bharat mata ki jai - Shanghai Full video song HD

Saturday, May 5, 2012

DO YOU KNOW????BY:MEDIA NEWS

देश के रिज़र्व बैंक के वाल्ट पर सीबीआई ने छापा डाला. उसे वहां पांच सौ और हज़ार रुपये के नक़ली नोट मिले. वरिष्ठ अधिकारियों से सीबीआई ने पूछताछ भी की. दरअसल सीबीआई ने नेपाल-भारत सीमा के साठ से सत्तर विभिन्न बैंकों की शाखाओं पर छापा डाला था, जहां से नक़ली नोटों का कारोबार चल रहा था. इन बैंकों के अधिकारियों ने सीबीआई से कहा कि उन्हें ये नक़ली नोट भारत के रिजर्व बैंक से मिल रहे हैं. इस पूरी घटना को भारत सरकार ने देश से और देश की संसद से छुपा लिया. या शायद सीबीआई ने भारत सरकार को इस घटना के बारे में कुछ बताया ही नहीं. देश अंधेरे में और देश को तबाह करने वाले रोशनी में हैं. आइए, आपको
आज़ाद भारत के सबसे बड़े आपराधिक षड्‌यंत्र के बारे में बताते हैं, जिसे हमने पांच महीने की तलाश के बाद आपके सामने रखने का फ़ैसला किया है. कहानी है रिज़र्व बैंक के माध्यम से देश के अपराधियों द्वारा नक़ली नोटों का कारोबार करने की.
नक़ली नोटों के कारोबार ने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह अपने जाल में जकड़ लिया है. आम जनता के हाथों में नक़ली नोट हैं, पर उसे ख़बर तक नहीं है. बैंक में नक़ली नोट मिल रहे हैं, एटीएम नक़ली नोट उगल रहे हैं. असली-नक़ली नोट पहचानने वाली मशीन नक़ली नोट को असली बता रही है. इस देश में क्या हो रहा है, यह समझ के बाहर है. चौथी दुनिया की तहक़ीक़ात से यह पता चला है कि जो कंपनी भारत के लिए करेंसी छापती रही, वही 500 और 1000 के नक़ली नोट भी छाप रही है. हमारी तहक़ीक़ात से यह अंदेशा होता है कि देश की सरकार और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया जाने-अनजाने में नोट छापने वाली विदेशी कंपनी के पार्टनर बन चुके हैं. अब सवाल यही है कि इस ख़तरनाक साज़िश पर देश की सरकार और एजेंसियां क्यों चुप हैं?

एक जानकारी जो पूरे देश से छुपा ली गई, अगस्त 2010 में सीबीआई की टीम ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के वाल्ट में छापा मारा. सीबीआई के अधिकारियों का दिमाग़ उस समय सन्न रह गया, जब उन्हें पता चला कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के ख़ज़ाने में नक़ली नोट हैं. रिज़र्व बैंक से मिले नक़ली नोट वही नोट थे, जिसे पाकिस्तान की खु़फिया एजेंसी नेपाल के रास्ते भारत भेज रही है. सवाल यह है कि भारत के रिजर्व बैंक में नक़ली नोट कहां से आए? क्या आईएसआई की पहुंच रिज़र्व बैंक की तिजोरी तक है या फिर कोई बहुत ही भयंकर साज़िश है, जो हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को खोखला कर चुकी है. सीबीआई इस सनसनीखेज मामले की तहक़ीक़ात कर रही है. छह बैंक कर्मचारियों से सीबीआई ने पूछताछ भी की है. इतने महीने बीत जाने के बावजूद किसी को यह पता नहीं है कि जांच में क्या निकला? सीबीआई और वित्त मंत्रालय को देश को बताना चाहिए कि बैंक अधिकारियों ने जांच के दौरान क्या कहा? नक़ली नोटों के इस ख़तरनाक खेल पर सरकार, संसद और जांच एजेंसियां क्यों चुप है तथा संसद अंधेरे में क्यों है?

अब सवाल यह है कि सीबीआई को मुंबई के रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया में छापा मारने की ज़रूरत क्यों पड़ी? रिजर्व बैंक से पहले नेपाल बॉर्डर से सटे बिहार और उत्तर प्रदेश के क़रीब 70-80 बैंकों में छापा पड़ा. इन बैंकों में इसलिए छापा पड़ा, क्योंकि जांच एजेंसियों को ख़बर मिली है कि पाकिस्तान की खु़फ़िया एजेंसी आईएसआई नेपाल के रास्ते भारत में नक़ली नोट भेज रही है. बॉर्डर के इलाक़े के बैंकों में नक़ली नोटों का लेन-देन हो रहा है. आईएसआई के रैकेट के ज़रिए 500 रुपये के नोट 250 रुपये में बेचे जा रहे हैं. छापे के दौरान इन बैंकों में असली नोट भी मिले और नक़ली नोट भी. जांच एजेंसियों को लगा कि नक़ली नोट नेपाल के ज़रिए बैंक तक पहुंचे हैं, लेकिन जब पूछताछ हुई तो सीबीआई के होश उड़ गए. कुछ बैंक अधिकारियों की पकड़-धकड़ हुई. ये बैंक अधिकारी रोने लगे, अपने बच्चों की कसमें खाने लगे. उन लोगों ने बताया कि उन्हें नक़ली नोटों के बारे में कोई जानकारी नहीं, क्योंकि ये नोट रिजर्व बैंक से आए हैं. यह किसी एक बैंक की कहानी होती तो इसे नकारा भी जा सकता था, लेकिन हर जगह यही पैटर्न मिला. यहां से मिली जानकारी के बाद ही सीबीआई ने फ़ैसला लिया कि अगर नक़ली नोट रिजर्व बैंक से आ रहे हैं तो वहीं जाकर देखा जाए कि मामला क्या है. सीबीआई ऱिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पहुंची, यहां उसे नक़ली नोट मिले. हैरानी की बात यह है कि रिज़र्व बैंक में मिले नक़ली नोट वही नोट थे, जिन्हें आईएसआई नेपाल के ज़रिए भारत भेजती है.

रिज़र्व बैंक आफ इंडिया में नक़ली नोट कहां से आए, इस गुत्थी को समझने के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश में नक़ली नोटों के मामले को समझना ज़रूरी है. दरअसल हुआ यह कि आईएसआई की गतिविधियों की वजह से यहां आएदिन नक़ली नोट पकड़े जाते हैं. मामला अदालत पहुंचता है. बहुत सारे केसों में वकीलों ने अनजाने में जज के सामने यह दलील दी कि पहले यह तो तय हो जाए कि ये नोट नक़ली हैं. इन वकीलों को शायद जाली नोट के कारोबार के बारे में कोई अंदाज़ा नहीं था, स़िर्फ कोर्ट से व़क्त लेने के लिए उन्होंने यह दलील दी थी. कोर्ट ने जब्त हुए नोटों को जांच के लिए सरकारी लैब भेज दिया, ताकि यह तय हो सके कि ज़ब्त किए गए नोट नक़ली हैं. रिपोर्ट आती है कि नोट असली हैं. मतलब यह कि असली और नक़ली नोटों के कागज, इंक, छपाई और सुरक्षा चिन्ह सब एक जैसे हैं. जांच एजेंसियों के होश उड़ गए कि अगर ये नोट असली हैं तो फिर 500 का नोट 250 में क्यों बिक रहा है. उन्हें तसल्ली नहीं हुई. फिर इन्हीं नोटों को टोक्यो और हांगकांग की लैब में भेजा गया. वहां से भी रिपोर्ट आई कि ये नोट असली हैं. फिर इन्हें अमेरिका भेजा गया. नक़ली नोट कितने असली हैं, इसका पता तब चला, जब अमेरिका की एक लैब ने यह कहा कि ये नोट नक़ली हैं. लैब ने यह भी कहा कि दोनों में इतनी समानताएं हैं कि जिन्हें पकड़ना मुश्किल है और जो विषमताएं हैं, वे भी जानबूझ कर डाली गई हैं और नोट बनाने वाली कोई बेहतरीन कंपनी ही ऐसे नोट बना सकती है. अमेरिका की लैब ने जांच एजेंसियों को पूरा प्रूव दे दिया और तरीक़ा बताया कि कैसे नक़ली नोटों को पहचाना जा सकता है. इस लैब ने बताया कि इन नक़ली नोटों में एक छोटी सी जगह है, जहां छेड़छाड़ हुई है. इसके बाद ही नेपाल बॉर्डर से सटे बैंकों में छापेमारी का सिलसिला शुरू हुआ. नक़ली नोटों की पहचान हो गई, लेकिन एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया कि नेपाल से आने वाले 500 एवं 1000 के नोट और रिज़र्व बैंक में मिलने वाले नक़ली नोट एक ही तरह के कैसे हैं. जिस नक़ली नोट को आईएसआई भेज रही है, वही नोट रिजर्व बैंक में कैसे आया. दोनों जगह पकड़े गए नक़ली नोटों के काग़ज़, इंक और छपाई एक जैसी क्यों है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारत के 500 और 1000 के जो नोट हैं, उनकी क्वालिटी ऐसी है, जिसे आसानी से नहीं बनाया जा सकता है और पाकिस्तान के पास वह टेक्नोलॉजी है ही नहीं. इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि जहां से ये नक़ली नोट आईएसआई को मिल रहे हैं, वहीं से रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया को भी सप्लाई हो रहे हैं. अब दो ही बातें हो सकती हैं. यह जांच एजेंसियों को तय करना है कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों की मिलीभगत से नक़ली नोट आया या फिर हमारी अर्थव्यवस्था ही अंतरराष्ट्रीय मा़फ़िया गैंग की साज़िश का शिकार हो गई है. अब सवाल उठता है कि ये नक़ली नोट छापता कौन है.

हमारी तहक़ीक़ात डे ला रू नाम की कंपनी तक पहुंच गई. जो जानकारी हासिल हुई, उससे यह साबित होता है कि नक़ली नोटों के कारोबार की जड़ में यही कंपनी है. डे ला रू कंपनी का सबसे बड़ा करार रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ था, जिसे यह स्पेशल वॉटरमार्क वाला बैंक नोट पेपर सप्लाई करती रही है. पिछले कुछ समय से इस कंपनी में भूचाल आया हुआ है. जब रिजर्व बैंक में छापा पड़ा तो डे ला रू के शेयर लुढ़क गए. यूरोप में ख़राब करेंसी नोटों की सप्लाई का मामला छा गया. इस कंपनी ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को कुछ ऐसे नोट दे दिए, जो असली नहीं थे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की टीम इंग्लैंड गई, उसने डे ला रू कंपनी के अधिकारियों से बातचीत की. नतीजा यह हुआ कि कंपनी ने हम्प्शायर की अपनी यूनिट में उत्पादन और आगे की शिपमेंट बंद कर दी. डे ला रू कंपनी के अधिकारियों ने भरोसा दिलाने की बहुत कोशिश की, लेकिन रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने यह कहा कि कंपनी से जुड़ी कई गंभीर चिंताएं हैं. अंग्रेजी में कहें तो सीरियस कंसर्नस. टीम वापस भारत आ गई.

डे ला रू कंपनी की 25 फीसदी कमाई भारत से होती है. इस ख़बर के आते ही डे ला रू कंपनी के शेयर धराशायी हो गए. यूरोप में हंगामा मच गया, लेकिन हिंदुस्तान में न वित्त मंत्री ने कुछ कहा, न ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कोई बयान दिया. रिज़र्व बैंक के प्रतिनिधियों ने जो चिंताएं बताईं, वे चिंताएं कैसी हैं. इन चिंताओं की गंभीरता कितनी है. रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ डील बचाने के लिए कंपनी ने माना कि भारत के रिज़र्व बैंक को दिए जा रहे करेंसी पेपर के उत्पादन में जो ग़लतियां हुईं, वे गंभीर हैं. बाद में कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव जेम्स हसी को 13 अगस्त, 2010 को इस्ती़फा देना पड़ा. ये ग़लतियां क्या हैं, सरकार चुप क्यों है, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया क्यों ख़ामोश है. मज़ेदार बात यह है कि कंपनी के अंदर इस बात को लेकर जांच चल रही थी और एक हमारी संसद है, जिसे कुछ पता नहीं है.

5 जनवरी, 2011 को यह ख़बर आई कि भारत सरकार ने डे ला रू के साथ अपने संबंध ख़त्म कर लिए. पता यह चला कि 16,000 टन करेंसी पेपर के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने डे ला रू की चार प्रतियोगी कंपनियों को ठेका दे दिया. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने डे ला रू को इस टेंडर में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित भी नहीं किया. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और भारत सरकार ने इतना बड़ा फै़सला क्यों लिया. इस फै़सले के पीछे तर्क क्या है. सरकार ने संसद को भरोसे में क्यों नहीं लिया. 28 जनवरी को डे ला रू कंपनी के टिम कोबोल्ड ने यह भी कहा कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ उनकी बातचीत चल रही है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि डे ला रू का अब आगे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ कोई समझौता होगा या नहीं. इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी डे ला रू से कौन बात कर रहा है और क्यों बात कर रहा है. मज़ेदार बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ख़ामोश रहा.

इस तहक़ीक़ात के दौरान एक सनसनीखेज सच सामने आया. डे ला रू कैश सिस्टम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 2005 में सरकार ने दफ्तर खोलने की अनुमति दी. यह कंपनी करेंसी पेपर के अलावा पासपोर्ट, हाई सिक्योरिटी पेपर, सिक्योरिटी प्रिंट, होलोग्राम और कैश प्रोसेसिंग सोल्यूशन में डील करती है. यह भारत में असली और नक़ली नोटों की पहचान करने वाली मशीन भी बेचती है. मतलब यह है कि यही कंपनी नक़ली नोट भारत भेजती है और यही कंपनी नक़ली नोटों की जांच करने वाली मशीन भी लगाती है. शायद यही वजह है कि देश में नक़ली नोट भी मशीन में असली नज़र आते हैं. इस मशीन के सॉफ्टवेयर की अभी तक जांच नहीं की गई है, किसके इशारे पर और क्यों? जांच एजेंसियों को अविलंब ऐसी मशीनों को जब्त करना चाहिए, जो नक़ली नोटों को असली बताती हैं. सरकार को इस बात की जांच करनी चाहिए कि डे ला रू कंपनी के रिश्ते किन-किन आर्थिक संस्थानों से हैं. नोटों की जांच करने वाली मशीन की सप्लाई कहां-कहां हुई है.

हमारी जांच टीम को एक सूत्र ने बताया कि डे ला रू कंपनी का मालिक इटालियन मा़िफया के साथ मिलकर भारत के नक़ली नोटों का रैकेट चला रहा है. पाकिस्तान में आईएसआई या आतंकवादियों के पास जो नक़ली नोट आते हैं, वे सीधे यूरोप से आते हैं. भारत सरकार, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और देश की जांच एजेंसियां अब तक नक़ली नोटों पर नकेल इसलिए नहीं कस पाई हैं, क्योंकि जांच एजेंसियां अब तक इस मामले में पाकिस्तान, हांगकांग, नेपाल और मलेशिया से आगे नहीं देख पा रही हैं. जो कुछ यूरोप में हो रहा है, उस पर हिंदुस्तान की सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया चुप है.

अब सवाल उठता है कि जब देश की सबसे अहम एजेंसी ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताया, तब सरकार ने क्या किया. जब डे ला रू ने नक़ली नोट सप्लाई किए तो संसद को क्यों नहीं बताया गया. डे ला रू के साथ जब क़रार ़खत्म कर चार नई कंपनियों के साथ क़रार हुए तो विपक्ष को क्यों पता नहीं चला. क्या संसद में उन्हीं मामलों पर चर्चा होगी, जिनकी रिपोर्ट मीडिया में आती है. अगर जांच एजेंसियां ही कह रही हैं कि नक़ली नोट का काग़ज़ असली नोट के जैसा है तो फिर सप्लाई करने वाली कंपनी डे ला रू पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई. सरकार को किसके आदेश का इंतजार है. समझने वाली बात यह है कि एक हज़ार नोटों में से दस नोट अगर जाली हैं तो यह स्थिति देश की वित्तीय व्यवस्था को तबाह कर सकती है. हमारे देश में एक हज़ार नोटों में से कितने नोट जाली हैं, यह पता कर पाना भी मुश्किल है, क्योंकि जाली नोट अब हमारे बैंकों और एटीएम मशीनों से निकल रहे हैं.
डे ला रू का नेपाल और आई एस आई कनेक्शन

कंधार हाईजैक की कहानी बहुत पुरानी हो गई है, लेकिन इस अध्याय का एक ऐसा पहलू है, जो अब तक दुनिया की नज़र से छुपा हुआ है. इस खउ-814 में एक ऐसा शख्स बैठा था, जिसके बारे में सुनकर आप दंग रह जाएंगे. इस आदमी को दुनिया भर में करेंसी किंग के नाम से जाना जाता है. इसका असली नाम है रोबेर्टो ग्योरी. यह इस जहाज में दो महिलाओं के साथ स़फर कर रहा था. दोनों महिलाएं स्विट्जरलैंड की नागरिक थीं. रोबेर्टो़ खुद दो देशों की नागरिकता रखता है, जिसमें पहला है इटली और दूसरा स्विट्जरलैंड. रोबेर्टो को करेंसी किंग इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह डे ला रू नाम की कंपनी का मालिक है. रोबेर्टो ग्योरी को अपने पिता से यह कंपनी मिली. दुनिया की करेंसी छापने का 90 फी़सदी बिजनेस इस कंपनी के पास है. यह कंपनी दुनिया के कई देशों कें नोट छापती है. यही कंपनी पाकिस्तान की आईएसआई के लिए भी काम करती है. जैसे ही यह जहाज हाईजैक हुआ, स्विट्जरलैंड ने एक विशिष्ट दल को हाईजैकर्स से बातचीत करने कंधार भेजा. साथ ही उसने भारत सरकार पर यह दबाव बनाया कि वह किसी भी क़ीमत पर करेंसी किंग रोबेर्टो ग्योरी और उनके मित्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. ग्योरी बिजनेस क्लास में स़फर कर रहा था. आतंकियों ने उसे प्लेन के सबसे पीछे वाली सीट पर बैठा दिया. लोग परेशान हो रहे थे, लेकिन ग्योरी आराम से अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था. उसके पास सैटेलाइट पेन ड्राइव और फोन थे.यह आदमी कंधार के हाईजैक जहाज में क्या कर रहा था, यह बात किसी की समझ में नहीं आई है. नेपाल में ऐसी क्या बात है, जिससे स्विट्जरलैंड के सबसे अमीर व्यक्ति और दुनिया भर के नोटों को छापने वाली कंपनी के मालिक को वहां आना पड़ा. क्या वह नेपाल जाने से पहले भारत आया था. ये स़िर्फ सवाल हैं, जिनका जवाब सरकार के पास होना चाहिए. संसद के सदस्यों को पता होना चाहिए, इसकी जांच होनी चाहिए थी. संसद में इस पर चर्चा होनी चाहिए थी. शायद हिंदुस्तान में फैले जाली नोटों का भेद खुल जाता.
नकली नोंटों का मायाजाल

सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि 2006 से 2009 के बीच 7.34 लाख सौ रुपये के नोट, 5.76 लाख पांच सौ रुपये के नोट और 1.09 लाख एक हज़ार रुपये के नोट बरामद किए गए. नायक कमेटी के मुताबिक़, देश में लगभग 1,69,000 करोड़ जाली नोट बाज़ार में हैं. नक़ली नोटों का कारोबार कितना ख़तरनाक रूप ले चुका है, यह जानने के लिए पिछले कुछ सालों में हुईं कुछ महत्वपूर्ण बैठकों के बारे में जानते हैं. इन बैठकों से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि देश की एजेंसियां सब कुछ जानते हुए भी बेबस और लाचार हैं. इस धंधे की जड़ में क्या है, यह हमारे ख़ुफिया विभाग को पता है. नक़ली नोटों के लिए बनी ज्वाइंट इंटेलिजेंस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि भारत नक़ली नोट प्रिंट करने वालों के स्रोत तक नहीं पहुंच सका है. नोट छापने वाले प्रेस विदेशों में लगे हैं. इसलिए इस मुहिम में विदेश मंत्रालय की मदद लेनी होगी, ताकि उन देशों पर दबाव डाला जा सके. 13 अगस्त, 2009 को सीबीआई ने एक बयान दिया कि नक़ली नोट छापने वालों के पास भारतीय नोट बनाने वाला गुप्त सांचा है, नोट बनाने वाली स्पेशल इंक और पेपर की पूरी जानकारी है. इसी वजह से देश में असली दिखने वाले नक़ली नोट भेजे जा रहे हैं. सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि नक़ली नोटों के मामलों की तहक़ीक़ात के लिए देश की कई एजेंसियों के सहयोग से एक स्पेशल टीम बनाई गई है. 13 सितंबर, 2009 को नॉर्थ ब्लॉक में स्थित इंटेलिजेंस ब्यूरो के हेड क्वार्टर में एक मीटिंग हुई थी, जिसमें इकोनोमिक इंटेलिजेंस की सारी अहम एजेंसियों ने हिस्सा लिया. इसमें डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, इंटेलिजेंस ब्यूरो, आईबी, वित्त मंत्रालय, सीबीआई और सेंट्रल इकोनोमिक इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रतिनिधि मौजूद थे. इस मीटिंग का निष्कर्ष यह निकला कि जाली नोटों का कारोबार अब अपराध से बढ़कर राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है. इससे पहले कैबिनेट सेक्रेटरी ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई थी, जिसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, आईबी, डीआरआई, ईडी, सीबीआई, सीईआईबी, कस्टम और अर्धसैनिक बलों के प्रतिनिधि मौजूद थे. इस बैठक में यह तय हुआ कि ब्रिटेन के साथ यूरोप के दूसरे देशों से इस मामले में बातचीत होगी, जहां से नोट बनाने वाले पेपर और इंक की सप्लाई होती है. तो अब सवाल उठता है कि इतने दिनों बाद भी सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, जांच एजेंसियों को किसके आदेश का इंतजार है?

Wednesday, May 2, 2012

|| दिखादे ‘श्याम’ वो रौनक जो वृन्दावन में होती थी ||

दिखादे ‘श्याम’ वो रौनक जो वृन्दावन में होती थी |
यमुना किनारे अठखेली जो सखियों के संग होती थी ||

निशाना पक्का था तेरा सखियों की मटकियो पर |
इल्जाम फिर भी होता था प्रभु उन्ही सखियों पर ||
तुझे नादान कह कर उन्ही की खिचाई खूब होती थी |
दिखादे ‘श्याम’ वो रौनक जो वृन्दावन में होती थी ||

कभी कपडे चुराते थे तो कभी मक्खन चुराते थे |
कभी मुहँ खोलकर वो ब्रह्माण्ड के दर्शन करवाते थे ||
देख करतब सब ओर तेरी जय जयकार होती थी |
दिखादे ‘श्याम’ वो रौनक जो वृन्दावन में होती थी ||

दलन दुष्टों का बचपन से ही खासा शौक था तेरा |
तुम्हारे नाम लेने से ही दूर हो जाता था अँधेरा ||
गुजर भक्तो की मुरली की सुरीली धुन पर होती थी |
दिखादे ‘श्याम’ वो रौनक जो वृन्दावन में होती थी ||
............श्याम

Tuesday, May 1, 2012

"बाल मजदूरी कानून".. किसका अभिशाप? किसका वरदान?-प्रकाश 'पंकज'

"बाल-मजदूरी कानून".. किसका अभिशाप? किसका वरदान?

गजब के घटिया कानून है देश के:

एक समृद्ध परिवार का बच्चा जिसकी परवरिश बड़े अच्छे ढंग से हो रही है, अपने स्कूल और पढाई छोड़ कर टी.वी. सीरियल या फिल्म में काम करता है सिर्फ और सिर्फ अपनी और अपने परिवार की तथाकथित ख्याति के लिए तो यह "बाल-मजदूरी" नहीं होती।

वहीँ अगर कोई बच्चा अपने और अपने परिवार वालों का पेट पालने के लिए प्लेट धो लेता है तो यह "बाल-मजदूरी" हो जाती है और वहीँ यह दोगली. हमारे यहाँ ऐसे लोगों की भी कमी बिल्कुल नहीं है  जो कहेंगे कि वे टी.वी. शो वाले प्रतिभा को प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसे लोगों को मेरा एक ही जबाब है अगर आपके बच्चों का टी.वी. शो में नाचना गाना प्रतिभा हो सकती है तो हरेक शाम अपनी और अपने घरवालों की रोटी जुगारने की कोशिश में उन बच्चों की प्रतिभा कहीं से भी कम नहीं है, बल्कि ज्यादा ही है। और,  अगर आप उनके सामाजिक विकास और शैक्षणिक विकास की बात करें तो दोनों जगहों पर एक हीं बात सामने आती है कि वे सभी अनिवार्य शिक्षा से दूर हो रहे हैं। जुलाहे का बच्चा तो सुविधा नहीं मिलने के कारण शिक्षा में पिछड़ रहा है पर आपका बच्चा तो सुविधाओं के बावजूद उस धारा में बह रहा है जो शैक्षणिक विकास से बिलकुल अलग है। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाली पीढ़ी एक "कबाड़ पीढ़ी" पैदा होगी।

यहाँ मै कानून को लाचार ही नहीं उन लोगों का नौकर भी समझूंगा जिनके पास पैसा है, शक्ति है, वर्चस्व है। यही लोग कानून को कुछ इस तरह से बनाते है कि जिनके पास ऐसी समृद्धि है वो इससे निकल सकते हैं और जिनके पास नहीं है वो पिसे जाते हैं इन कानूनी दैत्य-दन्तों द्वारा।

अगर कोई होटल-ढाबे वाला किसी को जीविका देने के लिए "बाल-मजदूरी" करवाने का दोषी हो सकता है तो आज हम सारे लोग जो बड़े मजे से टी.वी. के सामने ठहाके मारते हैं, वाह-वाह करते है, मेरी नज़र में वो सब दोषी हैं "बाल-मजदूरी" करवाने के।
... कानून माने या न माने।
... आप माने या न मानें।
... और मुझे यह भी मालूम है कि अकेले सिर्फ मेरे मानने से भी कुछ नहीं होने को है।

और अंत में इतना हीं कहूँगा कि यदि आपमें अब भी समाज के प्रति थोड़ी नैतिक जिम्मेदारी बची हो तो इसपर विचारें और ऐसे टी.वी. सीरियलों, फिल्मों का "प्रतिकार" करें, सामाजिक बहिष्कार करें, उनका सहभागी न बनें,
चलता हूँ और आपके लिए कुछ लिंक छोड़ जाता हूँ। धन्यवाद!
http://www.radiosargam.com/films/archives/50457/tv-channels-in-trouble-over-child-labour.html
मीडिया उस बात को उछाल-उछाल कर कान पका देती है।