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Wednesday, June 27, 2012

चाणक्य नीति [ हिंदी में ]: प्रथम अध्याय

१. सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु  को नमन करते हुए जो तीनो लोको के स्वामी  है, मै एक
राज्य के लिए  नीति  शास्त्र  के सिद्धांतों  को कहता हूँ. अनेक शास्त्रों  का आधार ले कर मै
यह सूत्र  कह रहा हूँ.
2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों  का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अतयंत वैभवशाली
कर्त्तव्य के सिद्धांत जात होगे. उसे पता चलेगा की किस  बात को करना चाहिए और िकसे
नहीं करना चािहए. उसे पता चलेगा की भला कया है और बुरा कया है. उसे सर्वोत्तम का भी
ज्ञान होगा.
३. इसीिलए लोगो का भला करने के िलए मै उस बात को कहता हूँ की िजससे लोग सभी
बातो को सही परिपेक्ष्य मे देखेगे.
४. एक विद्वान  भी दुखी  हो जाता है यिद वह िकसी मुर्ख  को उपदेश देता है, यदि वह एक
दुष्ट पत्नी का पालन करता है या िकसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना
लेता है.
५. दुष्ट पती, झूठा मित्र , बदमाश नौकर और सर्प  के साथ िनवास साक्षात् मृत्यु के समान है.
६ . व्यक्ति को  आने वाली मुसीबतो से िनपटकर धन संचय करना चािहए. उसे धन को
त्यागकर पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए. लेिकन यिद आत्मा की सुरक्षा की बात आती है
तो उसे धन और पती दोनो को गौण समझना चािहए.
७ . आगे आने वाली मुसीबतो के िलए धन संचय करे. ऐसा ना कहे की धनवान व्यक्ति को
मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन तेजी से घटता है.
८.  उस देश मे िनवास न करे जहा आपकी कोई इजजत नहीं, जहा आप रोजगार नहीं कमा
सकते, जहा आपके कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते .
९ . वहा एक िदन भी ना रके जहा ये पाच ना हो.
धनवान व्यक्ति ,
िवदान  व्यक्ति जो शास्त्रों को जानता हो,
राजा,
नदियाँ,
और चिकित्सक .
१० .  बुद्धिमान व्यक्ति ऐसे देश कभी ना जाए जहा ...
रोजगार कमाने का कोई माधयम ना हो.
जहा लोग िकसी से डरते न हो.
जहा लोगो को िकसी बात की लज्जा न हो.
जहा लोगो के पास बुद्धिमत्ता न हो.
जहा के लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो.
११ . नौकर की परीक्षा जब वह कर्त्तव्य का पालन  न कर रहा हो तब करे.
रिश्तेदार की परीक्षा जब आप मुसीबत मे हो तब करे.
मित्र की  परीक्षा विपरीत काल मे करे.
जब आपका वक्त अचछा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे.
१२ . अच्छा मित्र हमे तब नहीं छोड़ेगा जब हमे उसकी जररत हो, कोई दुघरटना हो गयी हो,
अकाल पड़ा हो, युद्ध चल रहा हो, जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े, जब हमे समशान
घाट जाना पड़े.
१३ . जो व्यक्ति  कसी नाशवंत चीज के िलए िजसका कभी नाश नहीं होने वाला ऐसी चीज को
छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अिवनाशी तो चला ही जाता है और इसमे कोई संदेह नहीं
की नाशवान को भी वह खो देता है.
१४ . एक बुद्धिमान व्यक्ति को चािहए की वह एक इजजतदार घर की अविवाहित कनया से
िववाह करे. यिद ऐसी कनया मे कोई वयंग है तो भी. िकसी हीन घर की लड़की से वह
सुनदर हो तो भी िववाह नहीं करना चािहए. शादी बराबरी के घरो मे हो यह उिचत है.
१५ . आप कभी इन ५ पर विश्वास ना करे.
१. निदया
२. िजसके हाथ मे शास्त्र हो.
३. पशु िजसे नाख़ून या िसंग हो.
४. औरत (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने )
५. राज घरानो के लोगो पर.
१६ . िवष मे से भी हो सके तो अमृत िनकाल ले.
यिद सोना गनदगी मे िगरा हो तो उसे उठाये और धोये और अपनाये.
यिद कोई िनचले कुल मे जनमने वाला भी आपको सर्वोत्तम ज्ञान देता है तो उसे अपनाये.
उसी तरह यिद कोई बदनाम घर की लड़की जो महान गुणो से संपनन है यिद आपको
सीख देती है तो गहण करे.
१७ .  औरतो मे मर्दों के मुकाबले .
भूख दो गुना
लजजा चार गुना
सहस छः गुण
कामना आठ गुना  होती है.

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