भारतीय रुपये के अवमूल्यन पर "वे" कहते हैं कि ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय कारणों
से हो रहा है और उनके पास कोई 'जादू की छ्ड़ी' नहीं है, जिससे वे रुपये का मूल्य ऊँचा उठा सकें..
जबकि असलियत यह है कि-
1. विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अमेरिका को खुश करने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं;
2. स्विस बैंकों में डॉलर के रुप में जमा काले धन का मूल्य बढ़ाने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं; और-
3. निर्यातकों के साथ उनकी साँठ-गाँठ है, उन्हें फायदा पहुँचाने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं.
रुपये का मूल्य ऊँचा उठाने के लिए किसी 'जादू की छड़ी' की जरुरत नहीं है. वर्तमान में निम्न कदम उठाकर रुपये के मूल्य को ऊँचा उठाया जा सकता है.
* निर्यात को सरकारी प्रोत्साहन/संरक्षण न देकर तथा आर्थिक विशेषज्ञों से सही सलाह लेकर रुपये के ‘मूल्य’ को उसके सही स्तर पर पहुँचाने की कोशिश की जा सकती है.
* रुपये का मूल्य बढ़ाने के लिए अगर "स्वर्ण भण्डार" में बढ़ोतरी की जरुरत पड़ी, तो उसके लिए दो उपाय अपनाये जा सकते हैं.
क) देश भर में विशेष अभियान चलाकर लॉकरों तथा घरों से कालेधन के रुप में जमा सोने को जब्त कर उसे सरकारी स्वर्णभण्डार तक पहुँचाया जायेगा ('लॉकर' प्रणाली की सही व्यवस्था लागू कर के या इनकी 'गोपनीयता' समाप्त की जा सकती है.
ख) अनेक समृद्ध मन्दिरों/ट्रस्टोंके आदि लिए नियम/कानून बनाया जा सकता है कि वे अपने स्वर्णभण्डार का 50 प्रतिशत अंश देश के नाम कर दें (इस अंश को स्थानान्तरित नहीं किया जायेगा, बल्कि मन्दिर/ट्रस्ट के ही भण्डार में ही रखा जा सकता है.
जबकि असलियत यह है कि-
1. विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अमेरिका को खुश करने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं;
2. स्विस बैंकों में डॉलर के रुप में जमा काले धन का मूल्य बढ़ाने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं; और-
3. निर्यातकों के साथ उनकी साँठ-गाँठ है, उन्हें फायदा पहुँचाने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं.
रुपये का मूल्य ऊँचा उठाने के लिए किसी 'जादू की छड़ी' की जरुरत नहीं है. वर्तमान में निम्न कदम उठाकर रुपये के मूल्य को ऊँचा उठाया जा सकता है.
* निर्यात को सरकारी प्रोत्साहन/संरक्षण न देकर तथा आर्थिक विशेषज्ञों से सही सलाह लेकर रुपये के ‘मूल्य’ को उसके सही स्तर पर पहुँचाने की कोशिश की जा सकती है.
* रुपये का मूल्य बढ़ाने के लिए अगर "स्वर्ण भण्डार" में बढ़ोतरी की जरुरत पड़ी, तो उसके लिए दो उपाय अपनाये जा सकते हैं.
क) देश भर में विशेष अभियान चलाकर लॉकरों तथा घरों से कालेधन के रुप में जमा सोने को जब्त कर उसे सरकारी स्वर्णभण्डार तक पहुँचाया जायेगा ('लॉकर' प्रणाली की सही व्यवस्था लागू कर के या इनकी 'गोपनीयता' समाप्त की जा सकती है.
ख) अनेक समृद्ध मन्दिरों/ट्रस्टोंके आदि लिए नियम/कानून बनाया जा सकता है कि वे अपने स्वर्णभण्डार का 50 प्रतिशत अंश देश के नाम कर दें (इस अंश को स्थानान्तरित नहीं किया जायेगा, बल्कि मन्दिर/ट्रस्ट के ही भण्डार में ही रखा जा सकता है.
सब में मंदिर ही क्यों दिखने लगते हे सभी बड़े मंदिरों पर कब्जा पहेले से ही कर लिया हे सरकार ने उस पेसे से केसे नीच कम कार रहे हे वो पहेले ठीक करावा यो भाई सब जगह मंदिरों को लाना ठीक नहीं हे बड़े उद्योगपतियो के टेक्स माफ़ किये जाते हे वो बंद करवायो पिचले साल ५००० करोड़ रुपये का टेक्स माफ़ किया गया केंद्र के द्वारा मुफ्त के भाव जमीने दी जाती हे २०० लाख करोड़ का कोयला मुफ्त में निजी कंपनियों को बेचा गया ये सब जीतनी कुदरत ने संपत्ति दी हे उसको किसी निजी कंपनियों में न बेच के सिर्फ देस के लिए ही उसका उपयोग करे ये बहोत सी बाते हे जिनके कारन रूपया उचा उठाया जा सकता हे.
ReplyDeleteऔर मंदिरों से कुछ लेने की घटिया सोच को बदलो मंदिरों को दान दिया जाता हे नाकि लिया जाता हे
जय श्री राम