शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी विक्रमी संवत् १९५४ को उत्तर प्रदेश के
ऐतिहासिक नगर शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद जी भारत के महान
क्रान्तिकारी व अग्रणी स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, अपितु उच्च कोटि के
कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी।
'बिस्मिल' उनका उर्दू उपनाम था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है 'आत्मिक रूप से आहत'। बिस्मिल के अतिरिक्त वे 'राम' और 'अज्ञात' के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रक्खा और ३० वर्ष की आयु में , काकोरी-काण्ड के आरोप में फाँसी चढ़ गये (सेशन जज ए० हैमिल्टन ने ११५ पृष्ठ के निर्णय में प्रत्येक क्रान्तिकारी पर लगाये गये गये आरोपों पर विचार करते हुए यह लिखा कि यह कोई साधारण ट्रेन डकैती नहीं, अपितु ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की एक सोची समझी साजिश है)।
आज हमारे देश को फिर से आवश्यकता है पंडित जी की ।
इस वीर क्रांतिकारी को सम्पूर्ण भारतवर्ष का शत शत नमन।
जय हिंद !
POST BY:~शंखनाद
'बिस्मिल' उनका उर्दू उपनाम था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है 'आत्मिक रूप से आहत'। बिस्मिल के अतिरिक्त वे 'राम' और 'अज्ञात' के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रक्खा और ३० वर्ष की आयु में , काकोरी-काण्ड के आरोप में फाँसी चढ़ गये (सेशन जज ए० हैमिल्टन ने ११५ पृष्ठ के निर्णय में प्रत्येक क्रान्तिकारी पर लगाये गये गये आरोपों पर विचार करते हुए यह लिखा कि यह कोई साधारण ट्रेन डकैती नहीं, अपितु ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की एक सोची समझी साजिश है)।
आज हमारे देश को फिर से आवश्यकता है पंडित जी की ।
इस वीर क्रांतिकारी को सम्पूर्ण भारतवर्ष का शत शत नमन।
जय हिंद !
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