चिड़िया की जाँ लेने में इक दाना लगता है
पालन कर के देखो एक जमाना लगता है ॥१॥
अंधों की सरकार बनी तो उनका राजा भी
आँखों वाला होकर सबको काना लगता है ॥२॥
जय-जय के नारों ने अब तक कर्म किये ऐसे
हर जयकारा अब ईश्वर पर ताना लगता है ॥३॥
कुछ भी पूछो, इक सा बतलाते सब नाम-पता
तेरा कूचा मुझको पागलखाना लगता है ॥४॥
दूर बजें जो ढोल सभी को लगते हैं अच्छे
गाँवों का रोना, दिल्ली को गाना लगता है ॥५॥
कल तक झोपड़ियों के दीप बुझाने का मुजरिम
सत्ता पाने पर, अब वो परवाना लगता है ॥६॥
टूटेंगें विश्वास, कली से मत पूछो कैसा
यौवन देवों को देकर मुरझाना लगता है ॥७॥
जाँच समितियों से करवाकर कुछ ना पाओगे
congress के घर में शाम-सबेरे थाना लगता है॥८॥
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पालन कर के देखो एक जमाना लगता है ॥१॥
अंधों की सरकार बनी तो उनका राजा भी
आँखों वाला होकर सबको काना लगता है ॥२॥
जय-जय के नारों ने अब तक कर्म किये ऐसे
हर जयकारा अब ईश्वर पर ताना लगता है ॥३॥
कुछ भी पूछो, इक सा बतलाते सब नाम-पता
तेरा कूचा मुझको पागलखाना लगता है ॥४॥
दूर बजें जो ढोल सभी को लगते हैं अच्छे
गाँवों का रोना, दिल्ली को गाना लगता है ॥५॥
कल तक झोपड़ियों के दीप बुझाने का मुजरिम
सत्ता पाने पर, अब वो परवाना लगता है ॥६॥
टूटेंगें विश्वास, कली से मत पूछो कैसा
यौवन देवों को देकर मुरझाना लगता है ॥७॥
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congress के घर में शाम-सबेरे थाना लगता है॥८॥
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मेरी रचना को अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए धन्यवाद
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