
रक्त से लिखा गया हैं, विजय का इतिहास जो।
 राष्ट्र का वंदन हैं, उस उत्सर्ग के उल्लास को।।
 रक्त की हर बूंद , जन-जन के ह्रदय में लिख गयी।
 राष्ट्र-श्रद्धा, आपके हाथों सहज ही बिक गयी।।
 बल दिया बलिदान ने, इस राष्ट्र के विश्वास को।
 राष्ट्र का वंदन हैं, उस उत्सर्ग के उल्लास को।।
 राष्ट्र की रग-रग फड़कती, आपके बलिदान से।
 राष्ट्र प्यारा हो गया हैं, हम सभी को प्राण से।।
 राष्ट्र पर हम भी करेंगे समर्पित हर साँस को।
 राष्ट्र का वंदन हैं, उस उत्सर्ग के उल्लास को।।
 आपकी गाथा सुनाई जायेगी , संतान को।
 और माताएँ भरेंगी सुतों में स्वाभिमान को।।
 छू लिया हैं आपने बलिदान के आकाश को।
 राष्ट्र का वंदन हैं, उस उत्सर्ग के उल्लास को।।
 आपका परिवार अब राष्ट्रीय धरोहर हो गया।
 त्याग उसका, राष्ट्र के सम्मुख उजागर हो गया।।
 राष्ट्र मुरझाने न देगा, आपके मधुमास को।
 राष्ट्र का वंदन हैं, उस उत्सर्ग के उल्लास को।।
 आओ ! सब मिल, “शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
 राष्ट्र के रक्षार्थ, सब कुछ मिटाने का व्रत धरें।।
 ताकि जीवित रख सकें, उत्सर्ग के इतिहास को।
 राष्ट्र का वंदन हैं, उस उत्सर्ग के उल्लास को।।
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