बहुत सो चुकी अब तो जागो, ओ नारी कल्याणी ।
परिवर्तन के स्वर में भर दो, निज गौरव की वाणी॥
बन कौशल्या आज देश को, फिर से राम महान् दो ।
और सुनैना बनकर फिर से, सीता-सी संतान दो॥
वीर जननि हो तुम संतानें, अर्जुन भीम समान दो ।
भारत माता माँग रही है, वापस उसकी शान दो॥
केवल तुम ही बन सकती हो ,नूतन युग निर्माणी ।
बहुत सो चुकी अब तो…………………….
भारत भ्रमित जितने तुलसी हैं, सबको दो ललकार ।
रतनावली तुम्हारा गौरव, तुमको रहा पुकार॥
कालिदास सम सोयी प्रतिभा ,सकतीं तुम्हीं निखार ।
महानता की देवी तुमको, जगती रही निहार॥
बनो प्रेरणा, राह देखता, जग का प्राणी-प्राणी ।
बहुत सो चुकी अब तो……………………..
जीजाबाई बनो देश को, वीर शिवा की है फिर चाह ।
सिवा तुम्हारे कौन बताये , बलिदानी वीरों को राह॥
जागो अब तो मत होने दो, तुम मानवता को गुमराह ।
वह जौहर दिखलाओ जग के, मुख से बरबस निकले वाह॥
नयी सदी की नींव तुम्हीं को है अब तो रखवानी॥
बहुत सो चुकी अब तो……………………………
बनो अहिल्याबाई अपनी, आत्म शक्ति फिर दिखलाओ ।
लक्ष्मीबाई बन अनीति का, गर्व चूर कर बतलाओ॥
दुर्गावती बनो शासन की, डोर थामने आ जाओ ।
सावित्री बन सत्यवान को, यम से पुनःछुड़ा लाओ॥
रच दो अपनी गौरव गरिमा, की फिर नई कहानी ।
बहुत सो चुकी अब तो……………………….
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