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Thursday, August 30, 2012
रचना-१ >>हिंदुस्तानमें उठी ललकार....जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)
हिंदुस्तानमें उठी ललकार है,आज जाग उठा नोजवान है,
युवा रुकेना अबकी बार सोचले ऐ दुश्मन तलवार,
नहीं रुकेगी अब युवा तलवार छोड़ेगे ना दुश्मनको आज,
लहु बहेगा अबकी बार,दुश्मन जाये अब देश निकाल.
-©रचना:जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)
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