हे भारतीय ! तू क्यूँ हाथ पर हाथ धरे बैठा है,
मुझसे मेरे अंदर का भगत सिंह कहता है.
देश के हालात देखकर भी क्यूँ चुप बैठा है,
"उठो, जागो, आगे बढ़ो !" - अब दिल कहता है......
नहीं हुआ था मैं फना देश पर इस दिन के लिए,
देश ताक रहा है तुम को,
घूसखोरी और गरीबी को संग लिए.
क्यूँ आज भारतीय सिर्फ सहता है,
मुझसे मेरे अंदर का भगत सिंह कहता है.
हर साल मेरे सपनो का भारत बस सपना ही "क्यूँ" रहता है,
मुझसे मेरे अंदर का भगत सिंह कहता है.
जय हिंद !
वंदे मातरम
इन्कलाब जिन्दाबाद!!!
मुझसे मेरे अंदर का भगत सिंह कहता है.
देश के हालात देखकर भी क्यूँ चुप बैठा है,
"उठो, जागो, आगे बढ़ो !" - अब दिल कहता है......
नहीं हुआ था मैं फना देश पर इस दिन के लिए,
देश ताक रहा है तुम को,
घूसखोरी और गरीबी को संग लिए.
क्यूँ आज भारतीय सिर्फ सहता है,
मुझसे मेरे अंदर का भगत सिंह कहता है.
हर साल मेरे सपनो का भारत बस सपना ही "क्यूँ" रहता है,
मुझसे मेरे अंदर का भगत सिंह कहता है.
जय हिंद !
वंदे मातरम
इन्कलाब जिन्दाबाद!!!
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