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Wednesday, February 29, 2012
Minakshi Pant:रंगों कि फुहार है
रंगों कि फुहार है
बसंती रुत कि बहार है |
कोयल भी देखो गा रही
रह - रहकर राग मल्हार है |
दिशाओं से गूंज रहा
ता - ता थैया का ताल है |
हर आलम जो है थिरक रहा
प्रभु कि लीलाओं का चमत्कार है |
हिरणों कि मदमस्त छलांग में
कस्तूरी पाने कि आस है |
सूरज कि निश्छल किरणों में ,
एक अपनेपन का अहसास है |
झरनों कि कलकल धारा में
समर्पण करने कि प्यास है |
पर्वत कि ऊँची चोटियों में
सुरक्षा का एक आभास है |
ये जो सतरंगी रंगों कि
छा रही छटा मनुहार है |
ये मेरे देश में लोगो का
आपस में प्यार - सम्मान है
Tuesday, February 28, 2012
सूर्यकिरण चिकित्सा
वेदों में सूर्यकिरण चिकित्सा का विवरण बड़े विस्तार से आता है। मत्स्यपुराण कहता हैं कि नीरोगिता की इच्छा हैं तो सूर्य की शरण में जाओ। वेदों में उदित होते सूर्य की किरणों का बड़ा महत्व बताया गया है। अथर्ववेद 17/1/30 में वर्णन आया हैं कि उदित होता सूर्य मृत्यु के सभी कारणों, सभी रोगों को नष्ट कर देता है। इस समय की इन्फ्रारेड किरणों में प्रचुर जीवनीशक्ति होती है। ऋग्वेद 1/50/11 में उल्लेख हैं कि रक्ताल्पता की सर्वश्रेष्ठ औषधि हैं उदित होते सूर्य के दर्शन, ध्यान। हृदय की सभी बीमारियाँ नित्य उगते सूर्य के दर्शन, ध्यान एवं अर्घ से दूर हो सकती है। (अथर्व.1/22/1)
Monday, February 27, 2012
घर पे तिरंगा फहराया
मन चंचल काबू से बाहर
मन को कैसे पकडूँ मैं,
मन पल में भग जाए कहीं पर
मन को कैसे जकडूँ मैं,
मन मारूँ ना मन की मानूँ
मन को मैंने समझ लिया,
मन से प्रीत लगाली मैंने
मीत बना कर जकड़ लिया,
मन को जीता जग को जीता
मन ख़ुशियों से लहराया,
जग जाहिर करता मैं ख़ुशियाँ
घर पे तिरंगा फहराया...
ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें
ज़िन्दगी जब भी तेरी बज़्म में लाती है हमें
ये ज़मीं चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें
सुर्ख़ फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढले यूँ तेरी आवाज़ बुलाती है हमें
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से
रात के पिछले पहर रोज़ जगाती है हमें
हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई क्यूँ है
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमें
टिप्पणी
इस गज़ल को शहरयार ने फ़िल्म "उमराव जान" के लिये लिखा था। फ़िल्म में नायिका उमराव जान एक शायरा भी हैं और उनका तख़ल्लुस "अदा" है।
Saturday, February 25, 2012
ईमानदारी और भ्रष्टाचार-हिन्दी हास्य कविता:
भ्रष्टाचारी ने ईमानदार को फटकारा
‘‘क्या पुराने जन्म के पापों का फल पा रहे हो,
बिना ऊपरी कमाई के जीवन गंवा रहे हो,
अरे
इसी जन्म में ही कोई अच्छा काम करते,
दान दक्षिणा दूसरों को देकर
अपनी जेब भरने का काम भी करते,
लोग मुझे तुम्हारा दोस्त कहकर शरमाते हैं,
तुम्हारे बुरे हालात सभी जगह बताते हैं,
सच कहता हूं
तुम पर बहुत तरस आता है।’’
ईमानदार ने कहा
‘‘सच कहता हूं इसमें मेरा कोई दोष नहीं है,
घर में भी कोई इस बात पर कम रोष नहीं है,
जगह ऐसी मिली है
जहां कोई पैसा देने नहीं आता,
बस फाईलों का ढेर सामने बैठकर सताता,
ठोकपीटकर बनाया किस्मत ने ईमानदार,
वरना दौलत का बन जाता इजारेदार,
एक बात तुम्हारी बात सही है,
पुराने जन्म के पापों का फल है
अपनी ईमानदारी की बनी बही है,
यही तर्क अपनी दुर्भाग्य का समझ में आता है।
कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर........
करोड़पति के सेट पर, हो गया आज बवाल ।
करोड़पति के सेट पर, हो गया आज बवाल ।
कंप्यूटर स्क्रीन पर, आया गज़ब सवाल ॥
आया गज़ब सवाल जीतकर,फास्टेस्ट फिंगर फस्ट ।
हॉट सीट पर आ गए, नेता जी एक भ्रस्ट ॥
पहला प्रश्न जिताएगा, रुपये पाँच हजार ।
देश में भ्रस्टाचार का , कौन है जिम्मेदार ? ॥
सही जवाब बतलाइए , ऑप्शन ये रहे चार ।
ए) जनता बी) मंत्री सी) नेता डी) सरकार ॥
हम ही नेता, हम ही मंत्री, हमरी ही सरकार ।
जो जनता को लौक किया, चुनाव जाएँगे हार ॥
मंत्री जी पड़ गए सोच में, मदद करे अब कौन।
बोले -अपने अध्यक्ष को लगाया जाये फोन ॥
तीस सेकंड में हो गई, नोट वोट की डील ।
कुइट किया नेता जी बोले एक्चुली व्हाट आई फील ॥
बिना जवाब के अरबों बनते अपनी वोट - सीट पर।
क्या रखा है "राघव " छोड़ो ऐसी हॉट-सीट पर ॥
झूठे वादे, झूठी क़समें, झूठे दिखा कर सपने ।
वहाँ जनता के वोटिंग पेड्स पर सारे ऑप्शन अपने ॥
कभी कभी बस भाषण बाज़ी, करके तेवर तीखे ।
हो गया आज बवाल, सेट पर करोड़पति के ॥
हो गया आज बवाल, सेट पर करोड़पति के ॥
हो गया आज बवाल, सेट पर करोड़पति के ॥
Friday, February 24, 2012
Thursday, February 23, 2012
Wednesday, February 22, 2012
Tuesday, February 21, 2012
सच्चा प्रयास कभी निष्फल नहीं होता
Monday, February 20, 2012
शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी …
छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
नये दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी …
आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंजिल को जो छोड़ चुके हैं
चाँद के दर पे जा पहुंचा है आज ज़माना
नये जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी …
हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने
कितने हैं अजंता हम को और सजाने
अभी पलटना है रुख कितने दरियाओं का
कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी …
आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं
अपने हाथों को अपना भगवान बनाएं
राम की इस धरती को गौतम की भूमी को
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी …
हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो
माटी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो
सोने की ये गंगा है चांदी की यमुना
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
नया खून है, नयी उमंगें, अब है नयी जवानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी …
Saturday, February 18, 2012
झाँसी वाली रानी थी.....
Friday, February 17, 2012
बहुत सो चुकी अब तो जागो
देश महान् है
Thursday, February 16, 2012
माँ की शिक्षा
बच्चे ने तर्क किया-माँ ? तुम कितनी भोली हो, इतना भी नहीं जानतीं कि यह तो पेड़ है। पेड़ों की भी कहीं पूजा की जाती हैं ? इसमें समय व्यर्थ खोने से क्या लाभ ?
लाभ है मुन्ने ? श्रद्धा ही है। श्रद्धा छोटी उपासना से विकसित होती है और अंत में जीवन को महान बना देती है, इसलिए यह भाव भी निर्मूल नहीं।
Wednesday, February 15, 2012
Monday, February 13, 2012
Sunday, February 12, 2012
Wednesday, February 8, 2012
14 फरवरी वेलनटाइन डे
वेलनटाइन डे ...""मेरी अपनी कोई बहन नही है पर जिनकी है वो जवाद जरूर देना""एक तरफ तो युवक 14 फरवरी को हाथ में 2-4 रूपये का फूल 50 रूपये में खरीद कर लड़की को देने को सही ठहराता है और इसे आजा़दी कहता है और दूसरी तरफ जब उसी आज़ादी की बात उसकी सगी बहन करे तो लड़की और उसके साथी को पीटने पर उतारू हो जाता है क्यों ?... ... जो काम किसी की बहन के साथ करना चाहते हो वो अगर तुम्हारी बहन करे तो आज़ादी को कैसा खतरा ?क्या सब अधिकार लड़को के हैं या सच जानते हुए भी अनजान बनने का नाटक करते हो ? क्या यही है हमारी पढ़ाई और हमारा माडरन होना ?क्या आप लोग इस बात से सहमत हैं ?....जिनके अपने घर शीशे के होते है वो दूसरों के घरो में पत्थर नहीं फेंकते..लोग अपने परिवार के सदस्यों को शामिल नहीं करना चाहते..लेकिन वही काम दूसरो के साथ कैसे कर सकते है....बहुत ही शर्मशार कर देनेवाला तजुर्बा है यह तो...'प्रेम' जैसे पवित्र रिश्ते को इस तरह से सरेआम लोग अपने कदमो तले कुचल रहे है.....हम सबको इस पाश्चात्य प्रेम दिवस का विरोध करना चाहिए..
DIL ME AAG JALNI CHAHIYE
Aaj ye deewar pardo ki tarah hilane lagi,
Sirf hungama khada karna mera maksad nahi,
Mere seene me nahi to tere seene me sahi,
RELETED POST;ANNA HAJARE