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Saturday, June 30, 2012

आज मेरे दोस्तको याद मेरा नाम आए!!-©रचना- जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)

दोस्त गुजरी हुई कभी तो वो शाम आए!!
आज मेरे दोस्तको याद मेरा नाम आए!!

वजह नहि हमें भुलानेकी फिरभी हम याद न आए!!
आज कोई पेगाम मेरे दोस्तका मेरे नामतो आए!!

आदत है हमें दोस्त अक्शर तनहाईमें जीनेकी!!
दर्दसे तड़पते है फिरभी तमन्ना है हमें जीनेकी!!

मिलनेके इन्तजारमें यह आश लिए है जीनेकी!!
दोस्त तुम्हारी यादोको वजह बताते है जीनेकी!!
©रचना- जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी)

Wednesday, June 27, 2012

चाणक्य नीति [ हिंदी में ]: प्रथम अध्याय

१. सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु  को नमन करते हुए जो तीनो लोको के स्वामी  है, मै एक
राज्य के लिए  नीति  शास्त्र  के सिद्धांतों  को कहता हूँ. अनेक शास्त्रों  का आधार ले कर मै
यह सूत्र  कह रहा हूँ.
2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों  का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अतयंत वैभवशाली
कर्त्तव्य के सिद्धांत जात होगे. उसे पता चलेगा की किस  बात को करना चाहिए और िकसे
नहीं करना चािहए. उसे पता चलेगा की भला कया है और बुरा कया है. उसे सर्वोत्तम का भी
ज्ञान होगा.
३. इसीिलए लोगो का भला करने के िलए मै उस बात को कहता हूँ की िजससे लोग सभी
बातो को सही परिपेक्ष्य मे देखेगे.
४. एक विद्वान  भी दुखी  हो जाता है यिद वह िकसी मुर्ख  को उपदेश देता है, यदि वह एक
दुष्ट पत्नी का पालन करता है या िकसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना
लेता है.
५. दुष्ट पती, झूठा मित्र , बदमाश नौकर और सर्प  के साथ िनवास साक्षात् मृत्यु के समान है.
६ . व्यक्ति को  आने वाली मुसीबतो से िनपटकर धन संचय करना चािहए. उसे धन को
त्यागकर पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए. लेिकन यिद आत्मा की सुरक्षा की बात आती है
तो उसे धन और पती दोनो को गौण समझना चािहए.
७ . आगे आने वाली मुसीबतो के िलए धन संचय करे. ऐसा ना कहे की धनवान व्यक्ति को
मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन तेजी से घटता है.
८.  उस देश मे िनवास न करे जहा आपकी कोई इजजत नहीं, जहा आप रोजगार नहीं कमा
सकते, जहा आपके कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते .
९ . वहा एक िदन भी ना रके जहा ये पाच ना हो.
धनवान व्यक्ति ,
िवदान  व्यक्ति जो शास्त्रों को जानता हो,
राजा,
नदियाँ,
और चिकित्सक .
१० .  बुद्धिमान व्यक्ति ऐसे देश कभी ना जाए जहा ...
रोजगार कमाने का कोई माधयम ना हो.
जहा लोग िकसी से डरते न हो.
जहा लोगो को िकसी बात की लज्जा न हो.
जहा लोगो के पास बुद्धिमत्ता न हो.
जहा के लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो.
११ . नौकर की परीक्षा जब वह कर्त्तव्य का पालन  न कर रहा हो तब करे.
रिश्तेदार की परीक्षा जब आप मुसीबत मे हो तब करे.
मित्र की  परीक्षा विपरीत काल मे करे.
जब आपका वक्त अचछा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे.
१२ . अच्छा मित्र हमे तब नहीं छोड़ेगा जब हमे उसकी जररत हो, कोई दुघरटना हो गयी हो,
अकाल पड़ा हो, युद्ध चल रहा हो, जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े, जब हमे समशान
घाट जाना पड़े.
१३ . जो व्यक्ति  कसी नाशवंत चीज के िलए िजसका कभी नाश नहीं होने वाला ऐसी चीज को
छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अिवनाशी तो चला ही जाता है और इसमे कोई संदेह नहीं
की नाशवान को भी वह खो देता है.
१४ . एक बुद्धिमान व्यक्ति को चािहए की वह एक इजजतदार घर की अविवाहित कनया से
िववाह करे. यिद ऐसी कनया मे कोई वयंग है तो भी. िकसी हीन घर की लड़की से वह
सुनदर हो तो भी िववाह नहीं करना चािहए. शादी बराबरी के घरो मे हो यह उिचत है.
१५ . आप कभी इन ५ पर विश्वास ना करे.
१. निदया
२. िजसके हाथ मे शास्त्र हो.
३. पशु िजसे नाख़ून या िसंग हो.
४. औरत (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने )
५. राज घरानो के लोगो पर.
१६ . िवष मे से भी हो सके तो अमृत िनकाल ले.
यिद सोना गनदगी मे िगरा हो तो उसे उठाये और धोये और अपनाये.
यिद कोई िनचले कुल मे जनमने वाला भी आपको सर्वोत्तम ज्ञान देता है तो उसे अपनाये.
उसी तरह यिद कोई बदनाम घर की लड़की जो महान गुणो से संपनन है यिद आपको
सीख देती है तो गहण करे.
१७ .  औरतो मे मर्दों के मुकाबले .
भूख दो गुना
लजजा चार गुना
सहस छः गुण
कामना आठ गुना  होती है.

Tuesday, June 26, 2012

हार न मानने की जिद करना!!

जिन्दगी से हार मानके जीनेसे बहेतर है !
खुश रहकर हार न मानने की जिद करना!!
-:जिग्नेश पंडया(देशप्रेमी):-

भर्ष्टाचार और महगाई .!!!

भर्ष्टाचार और महगाई ...जहा देखो वहा यही आग है!
यह आग बुजानेकी हम और आप बाते बहोत करते है!!
पर ढोस कदम उढ़ाने से हम पीछे कदम क्यों हटाते है!
क्यों हम अपने आपको आजाद हिंन्दके नागरिक कहते है!!
(C)जिग्नेश पंडया:उप-प्रमुख,भारतीय जनता युवा मोरचो-बावला तालुका 

शिवलिंग पर दूध चढाने का क्या फ़ायदा???:Ashish Saxena के ब्लोगसे

यहाँ दो पात्र हैं : एक है भारतीय और एक है इंडियन ! आइए देखते हैं दोनों में क्या बात होती है !

इंडियन : ये शिव रात्रि पर जो तुम इतना दूध चढाते हो शिवलिंग पर, इस से अच्छा तो ये हो कि ये दूध जो बहकर नालियों में बर्बाद हो जाता है, उसकी बजाए गरीबों मे बाँट दिया जाना चाहिए ! तुम्हारे शिव जी से ज्यादा उस दूध की जरुरत देश के गरीब लोगों को है. दूध बर्बाद करने की ये कैसी आस्था है ?

भारतीय : सीता को ही हमेशा अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है, कभी रावण पर प्रश्न चिन्ह क्यूँ नहीं लगाते तुम ?

इंडियन : देखा ! अब अपने दाग दिखने लगे तो दूसरों पर ऊँगली उठा रहे हो ! जब अपने बचाव मे कोई उत्तर नहीं होता, तभी लोग दूसरों को दोष देते हैं. सीधे-सीधे क्यूँ नहीं मान लेते कि ये दूध चढाना और नालियों मे बहा देना एक बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं है !

भारतीय : अगर मैं आपको सिद्ध कर दूँ की शिवरात्री पर दूध चढाना बेवकूफी नहीं समझदारी है तो ?

इंडियन : हाँ बताओ कैसे ? अब ये मत कह देना कि फलां वेद मे ऐसा लिखा है इसलिए हम ऐसा ही करेंगे, मुझे वैज्ञानिक तर्क चाहिएं.

भारतीय : ओ अच्छा, तो आप विज्ञान भी जानते हैं ? कितना पढ़े हैं आप ?

इंडियन : जी, मैं ज्यादा तो नहीं लेकिन काफी कुछ जानता हूँ, एम् टेक किया है, नौकरी करता हूँ. और मैं अंध विशवास मे बिलकुल भी विशवास नहीं करता, लेकिन भगवान को मानता हूँ.

भारतीय : आप भगवान को मानते तो हैं लेकिन भगवान के बारे में जानते नहीं कुछ भी. अगर जानते होते, तो ऐसा प्रश्न ही न करते ! आप ये तो जानते ही होंगे कि हम लोग त्रिदेवों को मुख्य रूप से मानते हैं : ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी (ब्रह्मा विष्णु महेश) ?

इंडियन : हाँ बिलकुल मानता हूँ.

भारतीय : अपने भारत मे भगवान के दो रूपों की विशेष पूजा होती है : विष्णु जी की और शिव जी की ! ये शिव जी जो हैं, इनको हम क्या कहते हैं - भोलेनाथ, तो भगवान के एक रूप को हमने भोला कहा है तो दूसरा रूप क्या हुआ ?

इंडियन (हँसते हुए) : चतुर्नाथ !

भारतीय : बिलकुल सही ! देखो, देवताओं के जब प्राण संकट मे आए तो वो भागे विष्णु जी के पास, बोले "भगवान बचाओ ! ये असुर मार देंगे हमें". तो विष्णु जी बोले अमृत पियो. देवता बोले अमृत कहाँ मिलेगा ? विष्णु जी बोले इसके लिए समुद्र मंथन करो !

तो समुद्र मंथन शुरू हुआ, अब इस समुद्र मंथन में कितनी दिक्कतें आई ये तो तुमको पता ही होगा, मंथन शुरू किया तो अमृत निकलना तो दूर विष निकल आया, और वो भी सामान्य विष नहीं हलाहल विष !
भागे विष्णु जी के पास सब के सब ! बोले बचाओ बचाओ !

तो चतुर्नाथ जी, मतलब विष्णु जी बोले, ये अपना डिपार्टमेंट नहीं है, अपना तो अमृत का डिपार्टमेंट है और भेज दिया भोलेनाथ के पास !
भोलेनाथ के पास गए तो उनसे भक्तों का दुःख देखा नहीं गया, भोले तो वो हैं ही, कलश उठाया और विष पीना शुरू कर दिया !
ये तो धन्यवाद देना चाहिए पार्वती जी का कि वो पास में बैठी थी, उनका गला दबाया तो ज़हर नीचे नहीं गया और नीलकंठ बनके रह गए.

इंडियन : क्यूँ पार्वती जी ने गला क्यूँ दबाया ?

भारतीय : पत्नी हैं ना, पत्नियों को तो अधिकार होता है ..:P किसी गण की हिम्मत होती क्या जो शिव जी का गला दबाए......अब आगे सुनो
फिर बाद मे अमृत निकला ! अब विष्णु जी को किसी ने invite किया था ????
मोहिनी रूप धारण करके आए और अमृत लेकर चलते बने.

और सुनो -
तुलसी स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है, स्वादिष्ट भी, तो चढाई जाती है
कृष्ण जी को (विष्णु अवतार).

लेकिन बेलपत्र कड़वे होते हैं, तो चढाए जाते हैं भगवान भोलेनाथ को !

हमारे कृष्ण कन्हैया को 56 भोग लगते हैं, कभी नहीं सुना कि 55 या 53 भोग लगे हों, हमेशा 56 भोग !
और हमारे शिव जी को ? राख , धतुरा ये सब चढाते हैं, तो भी भोलेनाथ प्रसन्न !

कोई भी नई चीज़ बनी तो सबसे पहले विष्णु जी को भोग !
दूसरी तरफ शिव रात्रि आने पर हमारी बची हुई गाजरें शिव जी को चढ़ा दी जाती हैं......

अब मुद्दे पर आते हैं........इन सबका मतलब क्या हुआ ???

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विष्णु जी हमारे पालनकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का रक्षण-पोषण होता है वो विष्णु जी को भोग लगाई जाती हैं !
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और शिव जी ?

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शिव जी संहारकर्ता हैं, इसलिए जिन चीज़ों से हमारे प्राणों का नाश होता है, मतलब जो विष है, वो सब कुछ शिव जी को भोग लगता है !
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इंडियन : ओके ओके, समझा !

भारतीय : आयुर्वेद कहता है कि वात-पित्त-कफ इनके असंतुलन से बीमारियाँ होती हैं और श्रावण के महीने में वात की बीमारियाँ सबसे ज्यादा होती हैं. श्रावण के महीने में ऋतू परिवर्तन के कारण शरीर मे वात बढ़ता है. इस वात को कम करने के लिए क्या करना पड़ता है ?
ऐसी चीज़ें नहीं खानी चाहिएं जिनसे वात बढे, इसलिए पत्ते वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिएं !

और उस समय पशु क्या खाते हैं ?

इंडियन : क्या ?

भारतीय : सब घास और पत्तियां ही तो खाते हैं. इस कारण उनका दूध भी वात को बढाता है ! इसलिए आयुर्वेद कहता है कि श्रावण के महीने में (जब शिवरात्रि होती है !!) दूध नहीं पीना चाहिए.
इसलिए श्रावण मास में जब हर जगह शिव रात्रि पर दूध चढ़ता था तो लोग समझ जाया करते थे कि इस महीने मे दूध विष के सामान है, स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है, इस समय दूध पिएंगे तो वाइरल इन्फेक्शन से बरसात की बीमारियाँ फैलेंगी और वो दूध नहीं पिया करते थे !
इस तरह हर जगह शिव रात्रि मनाने से पूरा देश वाइरल की बीमारियों से बच जाता था ! समझे कुछ ?

इंडियन : omgggggg !!!! यार फिर तो हर गाँव हर शहर मे शिव रात्रि मनानी चाहिए, इसको तो राष्ट्रीय पर्व घोषित होना चाहिए !

भारतीय : हम्म....लेकिन ऐसा नहीं होगा भाई कुछ लोग साम्प्रदायिकता देखते हैं, विज्ञान नहीं ! और सुनो. बरसात में भी बहुत सारी चीज़ें होती हैं लेकिन हम उनको दीवाली के बाद अन्नकूट में कृष्ण भोग लगाने के बाद ही खाते थे (क्यूंकि तब वर्षा ऋतू समाप्त हो चुकी होती थी). एलोपैथ कहता है कि गाजर मे विटामिन ए होता है आयरन होता है लेकिन आयुर्वेद कहता है कि शिव रात्रि के बाद गाजर नहीं खाना चाहिए इस ऋतू में खाया गाजर पित्त को बढाता है !
तो बताओ अब तो मानोगे ना कि वो शिव रात्रि पर दूध चढाना समझदारी है ?

इंडियन : बिलकुल भाई, निःसंदेह ! ऋतुओं के खाद्य पदार्थों पर पड़ने वाले प्रभाव को ignore करना तो बेवकूफी होगी.

भारतीय : ज़रा गौर करो, हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है ! ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते !

जिस संस्कृति की कोख से मैंने जन्म लिया है वो सनातन (=eternal) है, विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें ) Ashish Saxena)

Monday, June 11, 2012

इस वीर क्रांतिकारी को सम्पूर्ण भारतवर्ष का शत शत नमन।:POST BY:~शंखनाद

शुक्रवार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी विक्रमी संवत् १९५४ को उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक नगर शाहजहाँपुर में जन्मे राम प्रसाद जी भारत के महान क्रान्तिकारी व अग्रणी स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, अपितु उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाभाषी, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी।
'बिस्मिल' उनका उर्दू उपनाम था जिसका हिन्दी में अर्थ होता है 'आत्मिक रूप से आहत'। बिस्मिल के अतिरिक्त वे 'राम' और 'अज्ञात' के नाम से भी लेख व कवितायें लिखते थे। उन्होंने सन् १९१६ में १९ वर्ष की आयु में क्रान्तिकारी मार्ग में कदम रक्खा और ३० वर्ष की आयु में , काकोरी-काण्ड के आरोप में फाँसी चढ़ गये (सेशन जज ए० हैमिल्टन ने ११५ पृष्ठ के निर्णय में प्रत्येक क्रान्तिकारी पर लगाये गये गये आरोपों पर विचार करते हुए यह लिखा कि यह कोई साधारण ट्रेन डकैती नहीं, अपितु ब्रिटिश साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की एक सोची समझी साजिश है)।
आज हमारे देश को फिर से आवश्यकता है पंडित जी की ।
इस वीर क्रांतिकारी को सम्पूर्ण भारतवर्ष का शत शत नमन।
जय हिंद !
POST BY:~शंखनाद

Friday, June 8, 2012

भारतीय रुपये के अवमूल्यन पर "CONGRESSIO" कहते हैं कि ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय कारणों से हो रहा है और उनके पास कोई 'जादू की छ्ड़ी' नहीं है, जिससे वे रुपये का मूल्य ऊँचा उठा सकें..Post By:Mukul Shrivastava

भारतीय रुपये के अवमूल्यन पर "वे" कहते हैं कि ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय कारणों से हो रहा है और उनके पास कोई 'जादू की छ्ड़ी' नहीं है, जिससे वे रुपये का मूल्य ऊँचा उठा सकें..

जबकि असलियत यह है कि-
1. विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अमेरिका को खुश करने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं;
2. स्विस बैंकों में डॉलर के रुप में जमा काले धन का मूल्य बढ़ाने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं; और-
3. निर्यातकों के साथ उनकी साँठ-गाँठ है, उन्हें फायदा पहुँचाने के लिए वे भारतीय रुपये का अवमूल्यन कर रहे हैं.

रुपये का मूल्य ऊँचा उठाने के लिए किसी 'जादू की छड़ी' की जरुरत नहीं है. वर्तमान में निम्न कदम उठाकर रुपये के मूल्य को ऊँचा उठाया जा सकता है.

* निर्यात को सरकारी प्रोत्साहन/संरक्षण न देकर तथा आर्थिक विशेषज्ञों से सही सलाह लेकर रुपये के ‘मूल्य’ को उसके सही स्तर पर पहुँचाने की कोशिश की जा सकती है.

* रुपये का मूल्य बढ़ाने के लिए अगर "स्वर्ण भण्डार" में बढ़ोतरी की जरुरत पड़ी, तो उसके लिए दो उपाय अपनाये जा सकते हैं.

क) देश भर में विशेष अभियान चलाकर लॉकरों तथा घरों से कालेधन के रुप में जमा सोने को जब्त कर उसे सरकारी स्वर्णभण्डार तक पहुँचाया जायेगा ('लॉकर' प्रणाली की सही व्यवस्था लागू कर के या इनकी 'गोपनीयता' समाप्त की जा सकती है.

ख) अनेक समृद्ध मन्दिरों/ट्रस्टोंके आदि लिए नियम/कानून बनाया जा सकता है कि वे अपने स्वर्णभण्डार का 50 प्रतिशत अंश देश के नाम कर दें (इस अंश को स्थानान्तरित नहीं किया जायेगा, बल्कि मन्दिर/ट्रस्ट के ही भण्डार में ही रखा जा सकता है.

Wednesday, June 6, 2012

कलयुग के श्रवण कुमार!!!

कलयुग के इस श्रवण कुमार की मातृ भक्ति के कायल पूरे जबलपुर के लोग है। यह युवक अपनी मां को पिछले 14 वर्षों से कंधे पर बांस के सहारे दो टोकरियों में बैठाकर तीर्थदर्शन करवा रहा है। इन्हें देखकर हर कोई हैरान है और इनके किए हुए संकल्प को लोग प्रणाम कर रहे है। कैलाश नाम का यह युवक मध्यप्रदेश के जबलपुर का है और वर्तमान में बद्रीनाथ व केदारनाथ के दर्शन कराके अपनी मां को लेकर दूसरे तीर्थ पर जाने का विचार कर रहा है।

Monday, June 4, 2012

कि विदेश से आयात कर ली हाय हमने महामारी!’राष्ट्र के जनहित में जारी –एक बार और अटल बिहारी

तिल का ताड़ बनाते हैं चिल्लाते विदेशी मूल
सफ़ेद चमडी देख इनके ह्रदय में चुभता शूल
या कहेंगे ‘नही है ग्रजुएट गई है सिर्फ़ स्कूल’
अरे मूर्ख देखो मामले को बेवज़ह देते तूल!

मर्दों के जब झूंड को ललकारती है इक नारी
तो भाग कोने में छुपे नेता हो या हो व्यापारी !
और जारी न हो जाए कहीं विज्ञप्ति ये सरकारी -
‘कि विदेश से आयात कर ली हाय हमने महामारी!’

चुनाव से पहले देखो चिल्लाती थी भाजपा सरकार -
कि’ कमल करेगा सपने साकार न कि इटली की खरपतवार’!
और बैठ सिंहासन पे देखो टपकाते थे इतनी लार
कि चिपचिपी हो जाती थी भारत कि भूमि बार-बार!

बस करो नहीं चाहिए मुझे ऐसा प्रधानमंत्री
जो आँखें खोल सोता है और बनता फिरता संतरी
हाथ में माला लिए बस करता ॐ ! हरि हरि !
समस्याएं सुलझाएंगी मानो आसमां से आ लाल परी!

मुझे यकीन है देश को बेहतर संभालेगी इक नारी
पुरूष तो अक्सर पड़े इस देश पे ही भारी !
तो लो आज में करता हूँ ये विज्ञप्ति जारी -
‘जो कर रहे हैं विरोध, उनकी गई है मति मारी!’

देखो भारत हो या इटली, मानव तो मानव है
और क्या गारंटी है कि अपना भारतीय नही दानव है ?!
‘पश्चिमी भाग में अभी दबे हजारों शव हैं
और कहते हो की भारतीय ही भारतीयों से करते लव हैं!’

अरे पगले ! वो सोनिया गाँधी है, नहीं इटली की मुसोलिनी
तू तो ऐसे भय खाता मनो तेरी आजादी छिनी
मुझे तो आने लगी है अभी से खुशबू भीनी भीनी
मुह मीठा कराओ जी, लाओ मिठाई गुड चीनी!

अंग्रेज मेरे देश को उतना न लूट पाये
जितना मेरे अपनो ने ही भारत पे जुल्म ढाए
निःसंकोच उसके हाथ में दूँगा देश की कमान
‘इटली हो या जापान, बस होना चाइये इंसान’!
                                                                                                           BY:ATAL BIHARI BAJAPAI

हक़ीकत तो ये है, खो गया है मेरा असली चेहरा ......

मेरे चेहरे पर आज, एक और चेहरा
मैं देखता हूँ ,हर तरफ चेहरे पर एक और चेहरा
जब कभी लेकर चला, मैं अपना चेहरा
दुनिया को नही भाया मेरा, असली चेहरा
मैने भी औड लिया चेहरा, बिल्कुल वैसा
तुम्हे पसंद है, ये है अब वही चेहरा
असल में तो अब मेरे पास हैं, कई चेहरे
वक़्त के हिसाब से में बदल लेता हूँ, चेहरा
अब कहीं भी नहीं ले जाता हूँ, असली चेहरा
जब तक था, मेरे पास एक ही चेहरा
तुम्हे भी पसंद नहीं था, मेरा असली चेहरा
हक़ीकत तो ये है, खो गया है मेरा असली चेहरा

Saturday, June 2, 2012

कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के जबानों से हथियार बापसले कर उनको थमा दी गयी लाठियां .......CONGRESS KA BHAYANAK CHAHERA!!!

ब्रेकिंग न्यूज़..!!!
कश्मीर में तैनात अर्धसैनिक बलों के जबानों से हथियार बापसले कर उनको थमा दी गयी लाठियां .......
CRPF के निहत्थे जबानोंपर आतंकियों ने स्वचालित हथियारों से किया हमला
जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों और आतंक समर्थकों के हमले ब पत्थरबाजो से बचाब के लिए कश्मीर घाटी में तैनात सुरक्षा बलों केहथियार बापस ले कर सरकार ने उनको होमगार्ड बाली लाठियों थमा दी हैं ... इन जवानों को लाठी दिए जाने के पीछे सरकार का तर्क है कि बंद के दौरान जब कभी लोग पथराव करते हैं तो उत्तेजित होकर जवान गोली चला सकते हैं। इससे अनावश्यक किसी कीजान जाती है और वादी के हालात बिगड़ जाते हैं।इसलिए जवानों को लाठी दी गई थी। इस वीच कश्मीर में CRPF के निहत्थे जबानों पर आतंकियों ने आतंकियों ने स्वचालित हथियारों से डल झील से मात्र डेढ़ किलोमीटर दूर घातलगाकर हमला किया जिसमेसुरक्षा बल के सात जवान घायल हो गए है|
इस बात को लेकर काँग्रेस कि नीती शक के दायरे में आती हैं